वाराणसी सिकरौरा कांड: ट्रायल कोर्ट ने पहले विवेचक का बयान रिकॉर्ड पर नहीं लिया

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–याची पक्ष के अधिवक्ता ने सीआरपीसी की धारा 391 के तहत अर्जी दाखिल कर की मांग

प्रयागराज, 07 नवम्बर (हि.स.)। वाराणसी के सिकरौरा कांड में मंगलवार को भी बहस जारी रही। याची हीरावती की ओर से अर्जी दाखिल कर घटना के सम्बन्ध में पहले विवेचक का बयान रिकॉर्ड पर लेने की मांग की गई। कोर्ट ने उसे रिकॉर्ड पर लेते हुए प्रतिवादी की ओर से जवाब मांगा है। कोर्ट बुधवार को भी इस मामले की सुनवाई करेगी।

हीरावती और यूपी सरकार की ओर से दाखिल अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। मंगलवार को सुनवाई शुरु होते ही सरकारी अधिवक्ता की ओर से पक्ष रखा गया। इसके बाद पीड़ित-याची की ओर से सीआरपीसी की धारा 391 के तहत अर्जी दाखिल कर घटना के पहले विवेचक का बयान रिकॉर्ड पर लेने की मांग की गई। हालांकि, प्रतिवादियों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई गई। लेकिन याची अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि घटना का ट्रायल कई सालों बाद हुआ है। ट्रायल कोर्ट ने पहले विवेचक का बयान रिकॉर्ड पर लिया ही नहीं है। जबकि, ये बेहद अहम तथ्य और सबूत हैं। क्योंकि, पहले गवाह ने ही घटना के दिन माफिया बृजेश सिंह को पकड़ा था। उसका बयान पढ़ा ही नहीं गया। इस पर कोर्ट ने उसे रिकॉर्ड पर लेते हुए प्रतिवादी अधिवक्ता से आपत्ति मांगी है। बुधवार को प्रतिवादियों की ओर से पक्ष रखा जाएगा।

घटना 1987 में तत्कालीन जिला क्षेत्र वाराणसी के बलुआ थानांतर्गत सिकरौरा में हुई थी। इसमें एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या कर दी गई थी। मामले में माफिया बृजेश सिंह सहित कुल 13 लोगों को आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। पीड़ित हीरावती और सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। उस पर कई दिनों से सुनवाई चल रही है।