उत्तराखंड में हिमालयी राज्यों-देशों के शोध संस्थान की हो स्थापना

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नैनीताल, 07 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में ‘क्लाइमेट चेंट अडप्टेशन एंड डिजास्टर रिस्क रिडक्शन फॉर रिसिलिएंट फ्यूचर’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने पर्यावरण संरक्षण जल, जंगल, जमीन तथा जीव, जंतुओं पर पड़ रहे प्रभाव पर चिंता व्यक्त की एवं हिमालयी राज्यों के साथ नेपाल एवं भूटान को भी सम्मिलित करते हुए उत्तराखण्ड राज्य में एक शोध संस्थान की स्थापना की जरूरत बतायी।

समापन सत्र में कार्यकारी निदेशक राजेन्द्र रतनू ने सामुदायिक, सांस्कृतिक, विकसित बहुआयामी संकल्पों को साथ लेते हुए भौगोलिक स्थलाकृति के अनुरूप कार्रवाई पर जोर दिया। साथ ही राष्ट्रीय स्तर के एक ऐसे संस्थान की परिकल्पना की, जिसमें जलवायु परिवर्तन, हिम-स्खलन, भू-स्खलन, भूकम्प, बाढ़ हेतु आंकलन, निरीक्षण पर वृहद शोध एवं अध्ययन किया जाये। इसके साथ ही उन्होंने एनआईडीएम द्वारा देश में हिमालयन डायलॉग पर एक श्रृंखला शुरू करने का आश्वासन दिया।

इस दौरान तकनीकी सत्र में प्रो. शेखर पाठक, आईआईटी दिल्ली के डॉ. आकाश सोंधी, जोशीमठ के अतुल सती, आईआईटी रुड़की के प्रो. मनीष श्रीखंडे ने एवं द्वितीय सत्र में प्रो. सूर्य प्रकाश, डॉ. अजय चौरसिया, डॉ. कपिल जोशी, मानसी ऐसर इत्यादि ने विषय पर अपने विचार रखे।

कार्यशाला में अकादमी के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) प्रकाश चंद्र ने सभी अतिथि वार्ताकारों तथा प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।