रतलाम, 23 नवंबर (हि.स.)। सरकारी कार्यालयों में सेवानिवृत्ति के कारण कर्मचारियों की निरंतर कमी के कारण कार्यालयों का कामकाज ठप्प होने लगा है। लगभग 30 से 40 प्रतिशत पद रिक्त होने के कारण लोग परेशान है। उनके काम समय पर नहीं होते। जब लोग कार्यालय में जाते है तो जवाब मिलता है कि हम क्या करें स्टाफ कम है, अधिकांश कुर्सी टेबलें खाली नजर आती है।
शासन नई नियुक्तियां नहीं कर रहा है। उसकी सौच है कि नई नियुक्तियां करने से शासन पर वित्तीय बोझ बड़ेगा, इसलिए नई भर्ती की ओर उसका ध्यान नहीं है। बताते है कि 12 से 15 लाख पद विभिन्न कार्यालयों में रिक्त पड़े है। आज सभी सरकारी कार्यालयों चाहे वह सहकारिता विभाग हो, स्वास्थ्य विभाग हो, कलेक्टर कार्यालय हो, अस्पताल हो, जल संसाधन विभाग हो, जनसंपर्क विभाग,पुलिस विभाग या अन्य कोई विभाग सभी जगह स्टाफ की कमी का रोना रोया जा रहा है। अगले माह दिसंबर में कई लोग सेवानिवृत्त होंगे, जिसके कारण सेवानिवृत्तों का कारवां ओर बढ़ेगा। कई कार्यालयों में अधिकारियों को चपरासी का काम भी करना पड़ता है। उसकी मजबूरी है क्योंकि जहां चपरासी नहीं है, जो थे वे सेवानिवृत्त हो चुके है। उनके एवज में शासन ने नई भर्तीयां नहीं की।
ऊंट के मुंह में जीरे के समान
शिक्षा के क्षेत्र में तो शासन ने संविदा शिक्षक, शिक्षा कर्मियों तथा गुरूजियों की नियुक्तियां कर शिक्षकों की कमी को दूर करने का प्रयास किया है, लेकिन अन्य विभागों में पता नहीं क्यों सरकारी स्थायी नियुक्तियां भी नहीं कर पा रही है। कहते है कुछ विभागों ने संविदा आधार पर कुछ कर्मचारियों को रखा है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
न तो पदोन्नति हो रही है और ना क्रमोन्नति
शासन द्वारा न तो पदोन्नति की जा रही है और ना ही क्रमोन्नति , जिससे सभी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारी काम के बोझ से पीडि़त है और आमजन भी परेशान होते है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि हम लगातार शासन से रिक्त पदों पर नियुक्तियों की मांग कर रहे है। आंदोलन करते है लेकिन कोई सुनता नहीं। बैरोजगारों की लम्बी फोज निरंतर बढ़ती जा रही है। युवा अपराध क्षेत्र में प्रवेश कर रहे है। बैरोजगारी का यही सिलसिला चलता रहा तो आगे जाकर अपराध की स्थिति क्या बनेगी यह हर उस व्यक्ति की चिंता का विषय है जिनके पुत्र डिग्रियां लेकर घर बैठे है।
किसी भी सरकार का रोजगार की ओर ध्यान नहीं
सरकार चाहे किसी की भी हो उसका रोजगार की ओर ध्यान नहीं है। केवल बैंकों की आकर्षक ऋण योजनाओं के माध्यम से लोगों को कर्जदार बनाना ही सरकारी की नियती बन गया है। लोगों को अपने भरण पोषण के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध नहीं है, लेकिन वाहनों तथा मोबाइल का लगा चस्का इस कदर बढ़ता जा रहा है कि लोग कर्जा लेकर भी वाहन रखने का शोक पुरा कर रहे है। अब तो मोबाइल भी लोन पर मिलने लगे है।
बैरोजगारी के इस आलम में भविष्य की चिंता उनको है जिनके घरों में बैरोजगारों की लम्बी फोज है। प्रतिवर्ष हजारों लोग सेवानिवृत्त होते है और नई नियुक्तियां नहीं होती। यदि यही सिलसिला चलता रहा तो सरकारी दफ्तरों में शनै-शनै ताले लगने के अलावा कुछ नहीं नजर आएगा, जिस प्रकार लगातार उद्योग बंद हो रहे है, श्रमिक बैरोजगार हो रहे है, इसी प्रकार सरकारी दफ्तरों में शनै-शनै कही ताला लगने की नौबत नहीं आ जाए।
नई सरकार से उम्मीद
प्रदेश में अब अगले माह नई सरकार आएगी। सरकार किसी की भी बने लेकिन उसे चाहिए कि सरकारी दफ्तरों में स्टाफ की कमी को दूर कर बैरोजगारों की फोज को भी कम करें तभी कुछ हद तक समस्याओं का निराकरण हो सकेगा। अन्यथा हर क्षेत्र में कार्य लंबित रहेंगे, योजनाओं में विलम्ब होगा और खर्च भी बड़ेगा और समस्याओं का अंबार भी लगेगा।
सफाई कामगारों में भी आक्रोश
नगर निगम सहित नगरीय निकायों में स्टाफ की कमी है। सफाई कामगारों का भी अभाव है। जो लोग दस-दस-बीस-बीस साल से काम कर रहे है उन्हें स्थाई नहीं किया गया है, केवल घोषणाएं होती है लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिलती। स्वच्छता अभियान चल रहा है हर दिन घोषणाएं होती है लेकिन सड़क़े,नाले-नालियों में गंदगी का अंबार है। नगर की जनसंख्या के अनुपात में देखा जाए तो सफाई कर्मियों की बहुत कमी है। इस ओर नगर निगम का ध्यान नहीं है। नगर निगम का यह भी ध्यान नहीं है कि वर्षों से दैनिक वेतन में लगे कर्मचारियों को स्थाई किया जाए। कई कर्मचारी दैनिक वेतन पर लगते है और दैनिक वेतन पर ही सेवानिवृत्त हो जाते है।
चिकित्सा क्षेत्र में भी कमी
इसी प्रकार स्वास्थ्य केद्रों में भी पेरामेडिकल स्टाफ की बहुत कमी है। कई स्वास्थ्य केंद्रों में मेडीकल एक्सपर्ट नहीं है और ना ही विभाग के जानकार। कई ऐसे लोग जिला चिकित्सालय में बैठे नजर आते है जिन्हें चिकित्सा का ज्ञान नहीं है और वे स्थानीय नर्सेस कालेज और होम्योपैथिक आयुर्वेदिक कालेज के विद्यार्थी ड्यूटी करते नजर आते है। रोगी कल्याण समिति है जिसका इस ओर ध्यान नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि वह एक व्यापक सर्वे करके सरकारी कार्यालयों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार कर शासन के समक्ष पेश करें ताकि आम जनता को होने वाली परेशानी दूर हो सके।