उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व व्रत पूर्ण

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गोरखपुर, 20 नवम्बर (हि.स.)। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक महापर्व छठ पूजा का व्रत पूर्ण हुआ। शहर के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता रहा। छठ व्रतियों ने पुत्र के दीर्घायु व परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान भक्तों ने महापर्व के भक्तिमय पल को कैमरे में भी कैद किया और इस पल को अपनी स्मृतियों में कैद कर लिया।

सोमवार को सूर्य के उदय होते ही श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दौड़ गयी। घाटों पर मौजूद पंडितों द्वारा पढ़े जाने वाले वेद मंत्रों के साथ व्रतियों ने अर्घ्य अर्पित किया और मंगल कामना की। घाटों पर लगाने वाले जयघोष से माहौल भक्ति से ओतप्रोत होता रहा। बच्चों ने पटाखे जलाकर और व्रतियों ने प्रसाद बांटकर खुशी मनाई। भोर से ही व्रती महिलाएं नदी व तालाबों के जल में कमर भर पानी में खड़ी हो गयीं और सूर्य के उदय होने की प्रतीक्षा करने लगीं। इस दौरान व्रतियों की आंखें आकाश को निहार रहीं थीं और ”उग उग हो सुरुज देव” गीत वातावरण में गूज रहा था। सूर्य के उदित होने की प्रतीक्षा में खड़ी व्रतियों की ऑंखें उस समय चमक उठीं जब भगवान भाष्कर ने दर्शन दिये। उनके उदय होने के बाद दूध व जल का अर्घ्य दिया। प्रसाद अर्पित किया और आरती की।

राप्ती नदी के राजघाट, रामघाट समेत सूर्यकुंड, गोरखनाथ मंदिर का भीम सरोवर, रामगढ़ ताल, महेसरा ताल के अनेक घाटों समेत सभी स्थायी व अस्थायी तालाबों के घाट श्रद्धा की आभा से आलोकित हो रहे थे। गोरखनाथ मंदिर स्थित भीम सरोवर, राप्ती नदी के राजघाट, शंकरघाट, महेसरा ताल, रामगढ़ताल के विभिन्न घाटों, सूर्यकुंड धाम, विष्णु मंदिर, खरैया पोखरा, शाहपुर व बिछिया सहित विभिन्न मोहल्लों में कई जगह अस्थायी पोखरे बनाए गए थे। इधर, भगवान अरुण का केसरिया गोला असमान में दिखने के साथ ही श्रद्धालुओं मे उत्साह का संचार हो गया। चारों ओर भगवान भाष्कर का जयघोष गूंज उठा। फिर, व्रतियों के अर्घ्य व प्रसाद अर्पित करने का सिलसिला शुरू हो गया।