दो मेगावाट सोलर पैनल से जगमगाएंगे मेडिकल काॅलेज के छात्रावास

Share

28HREG117 दो मेगावाट सोलर पैनल से जगमगाएंगे मेडिकल काॅलेज के छात्रावास

-एनओसी मिलते ही दिल्ली की कंपनी शुरू कर देगी कार्य

कानपुर (कान्हापुर), 28 मई (हि.स.)। अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग लगातार सोलर पैनल को बढ़ावा दे रहा है और खासकर सरकारी विभाग को प्राथमिकता दी जा रही है। जनपद में तमाम सरकारी विभागों में सोलर पैनल लग चुके हैं और कई विभागों में प्रकिया चल रही है। इसी कड़ी में अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कालेज के छात्रावासों को भी जगमगाने की तैयारी कर रहा है। यहां पर एनओसी मिलते ही दो मेगावाट का सोलर पैनल स्थापित हो जाएगा और छात्रावासों में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को बिजली के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा।

परियोजना अधिकारी नेडा (अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग) अनूप कुमार श्रीवास्तव ने रविवार को बताया कि पांच वर्ष पूर्व विद्युत बचत योजना शुरु की गई। इसके तहत विद्युत संकट को कम करने के लिए सोलर पैनल स्थापित करने पर जोर दिया गया और यह योजना केन्द्र एवं राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से चल रही है।

इसके तहत सरकारी और निजी क्षेत्र में सोलर पैनल लगाये जाने हैं। कानपुर में सोलर पैनल लगाने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को दी गई है। यह कंपनी प्राथमिकता के आधार पर सरकारी कार्यालयों में बराबर सोलर पैनल लगा रही है और अब तक कलेक्ट्रेट, नगर निगम, अम्बेडकर विश्वविद्यालय, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, उर्सला, कमिश्नर आवास, हैलट, गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कालेज समेत अन्य स्थानों में सोलर पैनल स्थापित हो चुके हैं।

उन्होंने बताया कि गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल काॅलेज में बने छात्रावासों में छात्रों की समस्याओं को देखते हुए कंपनी ने सर्वे पूरा कर लिया है। इसके साथ ही मेडिकल काॅलेज से एनओसी लेने के लिए प्रक्रिया भी कर दी गई है। एनओसी मिलते ही कंपनी यहां पर डेढ़ से दो मेगावाट का सोलर पैनल स्थापित करेगी। इससे मेडिकल काॅलेज के सभी छात्रावासों को भरपूर बिजली मिल सकेगी और अध्ययनरत छात्रों को बिजली को लेकर समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि मेडिकल काॅलेज में प्रशासनिक कार्यों को लेकर 450 किलो वाट का सोलर पैनल पहले ही स्थापित कर दिया गया है। योजना के तहत लगने वाले सोलर पैनल की देख-रेख पांच साल तक संबंधित कंपनी ही करेगी और उसके बाद संस्थाओं की जिम्मेदारी होगी। वर्तमान में स्थापित हुए सोलर पैनलों की देखरेख कंपनी के वेंडर कर रहे हैं और स्थापित हो चुके सोलर पैनलों से बिजली का उत्पादन भी हो रहा है। इससे विभागों की बचत भी हो रही है।