भीषण गर्मी के बीच बुद्ध पूर्णिमा पर उमड़े आस्थावान, जयकारे से गूंजा विंध्यधाम

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05HREG186 भीषण गर्मी के बीच बुद्ध पूर्णिमा पर उमड़े आस्थावान, जयकारे से गूंजा विंध्यधाम

मीरजापुर, 05 मई (हि.स.)। बुद्ध पूर्णिमा… दिन शुक्रवार। सिर पर प्रसाद की डलिया, माथे पर जय माता दी लिखे फीता व जयकारे के साथ आस्था पथ पर बढ़ते बच्चे, बूढ़े व महिला-पुरुष। मां विंध्यवासिनी की चौखट पर बुद्ध पूर्णिमा के दिन ऐसा ही नजारा दिखा। गंगा तट से मां विंध्यवासिनी के आंगन तक श्रद्धा व विश्वास का समागम दिखा। तन को झुलसा देने वाली भीषण गर्मी के बीच गंगा घाट से मंदिर तक श्रद्धालु ही श्रद्धालु नजर आए।

बुद्ध पूर्णिमा पर मां विंध्यवासिनी की चौखट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। देश के कोने-कोने से विंध्यधाम पहुंचे नर-नारियों ने श्रद्धाभाव से मत्था टेका। घंटा-घड़ियाल, शंख व जयकारे से विध्यधाम गुंजायमान हो उठा। मंगला आरती के उपरांत मां विंध्यवासिनी के भव्य शृंगार का दर्शन पाकर श्रद्धालु भाव विह्वल हो उठे। मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन से पहले श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई, फिर मंदिर की ओर बढ़े। कोई झांकी तो किसी ने गर्भगृह पहुंच मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की। नारियल, चुनरी, लाचीदाना, रोरी-रक्षा, माला-फूल के साथ कतारबद्ध श्रद्धालु जयकारा लगाते मंदिर की तरफ बढ़ते जा रहे थे।

दोपहर आरती के समय कपाट बंद होने पर काफी देर तक श्रद्धालु खड़े होकर कपाट खुलने का इंतजार करते रहे। मां की आरती के उपरांत कपाट खुलते ही माता के जयकारे से विंध्यधाम एक बार फिर गूंज उठा। मां विध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के बाद मंदिर परिसर में विराजमान समस्त देवी-देवताओं को नमन किया। श्रीपंचमुखी महादेव, मां सरस्वती, मां दुर्गा, मां काली, दक्षिणमुखी हनुमानजी, श्रीराधा-कृष्ण, बाबा बटुक भैरव के भव्य स्वरूप का दर्शन-पूजन करने को भक्तों का तांता लगा रहा। हवन-कुंड में आहुतियां डालने का क्रम अनवरत चलता रहा। श्रद्धालुओं ने त्रिकोण परिक्रमा कर पुण्य कमाया। वहीं मंदिर की छत पर मंत्रोच्चारण के बीच पूजन-अनुष्ठान व गंगा घाटों पर शहनाई व नगाड़े के बीच मुंडन संस्कार होता रहा। आस्थावानों की भारी भीड़ के चलते सुरक्षा-व्यवस्था के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। वहीं भीषण गर्मी के बीच कड़ी धूप से बचाव के लिए छांव की व्यवस्था की गई थी। अत्यधिक भीड़ की वजह से श्रद्धालुओं को परेशानी जरूर हुई, लेकिन आस्था के आगे सब फीका रहा। उधर, विंध्याचल पहुंचने वाले मार्ग पर श्रद्धालुओं को जाम का भी सामना करना पड़ा।

गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, जमकर की अठखेलियां

यूं तो प्रतिदिन गंगा स्नान का अपना महत्व है, लेकिन बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से माना जाता है कि विशेष पुण्य फल मिलता है। बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। शहर से लेकर विंध्यांचल तक गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। गंगा में स्नानार्थियों ने जमकर अठखेलियां कीं और एक-दूसरे पर पानी उड़ेला। गर्मी के मौसम के कारण गंगा स्नान करने वाले देर तक डुबकी लगाते रहे। गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य भी किया।