राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने बनाया प्रोटीन और औषधियुक्त ‘सुपर शुगर’

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19HREG135 राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने बनाया प्रोटीन और औषधियुक्त ‘सुपर शुगर’

कानपुर, 19 अप्रैल (हि.स.)। चीनी में लगातार प्रयोग कर उसे उत्तम बनाने वाले राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने एक बार फिर चीनी को अलग रूप देने का काम किया है। यहां पर फेलोशिप करने वाली एक कम्पनी के गुणवत्ता नियंत्रण के उप महाप्रबंधक ने चीनी को प्रोटीन युक्त और बीमारी मुक्त बनाया है। बहुत जल्द तकनीक (पेटेंट) के साथ वह बाजारों में इस सुपर शुगर को लाने की प्रक्रिया भी शुरू करने वाले हैं।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर द्वारा चीनी की गुणवत्ता को बेहतर करने में दिन-प्रतिदिन नए कीर्तिमान स्थापित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में यहां 2020 में फेलोशिप करने आये त्रिवेणी शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उप महाप्रबंधक (गुणवत्ता नियंत्रण) राजेश सिंह ने ऐसी चीनी बनाया है जिसे खाने ने बहुत सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। यही नहीं इस चीनी से लोगों को भारी मात्रा में प्रोटीन भी मिलेगा। इस चीनी का नाम उन्होंने ‘सुपर शुगर’ रखा है।

संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बुधवार को प्रेस वार्ता कर बताया कि लोगों के जहन में हमेशा से चीनी एक हानिकारक पदार्थ के रूप में माना जाता रहा है। लोगों की इस धारणा को तोड़ने के लिए एनएसआई लगातार नए-नए शोध (प्रयोग) भी करता रहता है। जिससे लोगों को बताया जा सके कि उनकी यह धारणा पूर्णतः सही नहीं है। बताया कि इसमें कोविड के दौरान हमारे संस्थान में फेलोशिप करने आये राजेश सिंह ने तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद ‘सुपर शुगर’ बनाई है। यह चीनी आम चीनी की तरह उपयोग में लाई जा सकती है और इसके सेवन से लोगों को नुकसान नहीं बल्कि फायदे होने वाले हैं।

कैसे बनी ‘सुपर शुगर’

‘सुपर शुगर’ को बनाने में शोध करते हुए काफी समय लगा है। काफी खोजबीन के बाद यह पता चला कि समुद्र में होने वाला एक प्रकार का शैवाल जो नासा के लोग खुद को प्रोटीन देने के लिए उपयोग करते हैं उसको चीनी में मिलाया जा सकता है। जिसके बाद इस शैवाल (स्पिरुलीना) को ऑनलाइन माध्यम से लगभग 800 रुपये प्रति किलो की कीमत से मंगाया गया। इस शैवाल को जब चीनी में मिलाया गया तो यह काम कर गया और उपयोगी बन गया। प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि इसमें उस दौरान एक गंध आ रही थी जिसको हर व्यक्ति सहन नहीं कर सकता है। इसके बाद इसमें विचार किया गया कि किस प्रकार इस गंध को दूर किया जाए। कुछ समय बाद तुलसी के साथ जब इसका प्रयोग किया गया तो शैवाल की गंध चली गयी और एक सुपर शुगर को तैयार करने में कामयाबी मिली। इस शुगर में शैवाल और तुलसी की बात की जाए तो इसे 50 ग्राम तैयार करने के लिए 44 ग्राम चीनी, एक ग्राम शैवाल और पांच ग्राम तुलसी का रस मिलाया जाएगा।

कितना फायदेमंद यह शुगर

एनएसआई के निदेशक ने बताया कि इस शुगर के अगर फायदे की बात की जाए तो इसमें साफ तौर में भारी मात्रा में प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं। शैवाल में 60 से 70 प्रतिशत तक उच्च प्रोटीन और आवश्यक फैटी एसिड खनिज जैसे पोटैशियम, कैल्सियम , लोहा, जस्ता, फास्फोरस और विटामिन बी वन, बी टू ,बी थ्री की तरह के अनेक विटामिन तत्व मौजूद होते हैं। वहीं इसमें मिली तुलसी के गुण हर कोई जानता है, उसकी मात्रा भी अधिक पाई जाती है।

वंडर फूड फ़ॉर फ्यूचर बनेगी यह शुगर

प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि यह सुपर शुगर आने वाले भविष्य में सबसे सस्ता और चमत्कारी फूड बनने वाला है। क्योंकि अगर इसकी कीमत की बात करें तो आज साधारण मिलने वाले चीनी के मूल्य से यह सुपर शुगर जिसमें कई गुण हैं, वह महज पांच से 10 प्रतिशत ही महंगा होने वाला है या यह कहा जाए कि इसका साधारण मूल्य ही रहने वाला है।

शैवाल की गुणवत्ता और उपलब्धता

शैवाल समुद्रों में होने वाली वह काई होती है जिसको हम साधारण तौर पर फेंक देते हैं, पर उसमें पाए जाने वाले गुणों को नहीं पहचान पाते हैं। शैवाल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। जिसके चलते जो इसकी जानकारी रखता है वह इसकी खेती भी कर रहा है। भारत के 15 प्रदेश शैवाल की खेती करते हैं जिसमें मुख्य रूप से कर्नाटक, पांडुचेरी, तमिलनाडु और आंध्रा हैं। अगर बात करें इसकी खपत की तो सबसे ज्यादा शैवाल को दक्षिण अमेरिका और चीन में खाया जाता है। वहीं भारत पूरे विश्व में शैवाल का सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट करता है।

पेटेंट लेकर जल्द मार्केट में आएगा सुपर शुगर

त्रिवेणी शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उप महाप्रबंधक गुणवत्ता नियंत्रण राजेश सिंह ने बताया कि कम्पनी बहुत जल्द लगभग तीन महीने में इसका पेटेंट ले लेगी। वहीं जल्द ही इस शुगर को मार्केट में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम शुगर की सेल्फ लाइफ का भी निरीक्षण कर रहे हैं। फिलहाल अभी तक की रिसर्च में पता चला है कि लगभग एक साल से ज्यादा तक इस शुगर का उपयोग किया जा सकता है।