04HREG454 उप्र भाषा संस्थान ने मेडिकल सर्जरी की किताबें हिन्दी में कराई प्रकाशित : जितेंद्र कुमार
– लोकप्रिय गीतकार व कवि रहे गोपालदास ‘नीरज‘ की याद में पहली बार हुआ समारोह
लखनऊ, 04 जनवरी ( हि.स.)। मेडिकल सर्जरी पर हिन्दी में उप्र भाषा संस्थान ने अंग्रेजी से अनुवाद कराके हिन्दी में किताबें छपवाई है, जिससे कि हिन्दी माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थियों को आसानी हो सके। यह बात विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने बताई है ।
उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान की ओर से बुधवार को पद्भूषण गोपालदास नीरज की जयन्ती पर समारोह ‘गीत यामिनी’ आयोजित किया गया। जयन्ती समारोह का आयोजन लखनऊ के गोमती नगर स्थित बौद्व शोध संस्थान में हुआ।
मुख्य अतिथि उप्र भाषा संस्थान के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर समारोह का उद्घाटन किया । शुरूआत में मुख्य अतिथि ने समारोह में शामिल हुए कविगणों को नीरज की याद में शुरू हुए सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नीरज की याद में सम्मान देने पर मुझे खुशी हो रही है। वह भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं और उनके समय में संस्थान ने बहुत तरक्की की है। उनकी जयन्ती पर पहली बार कार्यक्रम हो रहा है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि यह समारोह चार साल पहले ही आयोजित होने वाला था, लेकिन अब हो रहा है।
इस अवसर पर उप्र भाषा संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने बताया कि पद्मभूषण गोपालदास नीरज प्रख्यात कवि, शिक्षक एवं साहित्यकार थे। वे पहले व्यक्ति थे उन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया। पहले पद्मश्री से उसके पश्चात पद्मभूषण से वह सम्मानित हुए। फिल्मों में श्रेष्ठ गीत लिखने के लिए उन्हें तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ था। गोपालदास नीरज के विराट व्यक्तित्व को देखते हुए उन्हें उप्र भाषा संस्थान का दो बार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था।
उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान की स्थापना वर्ष 1994 में भारतीय भाषाओं एवं उनके साहित्य के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से की गयी थी, तब से उप्र भाषा संस्थान निरन्तर सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में भाषा संस्थान द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में गोष्ठियों और सेमीनार व कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है। भाषा संस्थान हिन्दी भाषा के प्रोत्साहन के लिए इंजीनियरिंग, चिकित्सा, लॉ, आदि की पुस्तकों का हिन्दी में प्रकाशन करने के साथ ही प्रकाशन करने वाली संस्थाओं को आर्थिक प्रोत्साहन भी देता है। भाषा संस्थान द्वारा दिल्ली, राजस्थान, अरूणाचल प्रदेश, कश्मीर, आन्ध्र प्रदेश, आदि में गोष्ठी और सेमीनार का आयोजन किया गया।