पारम्परिक लोक गीत, नृत्य फ़िल्मों के प्रभाव से अपना मूल स्वरूप खोते जा रहे हैं : नीलम वर्मा

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17HREG403 पारम्परिक लोक गीत, नृत्य फ़िल्मों के प्रभाव से अपना मूल स्वरूप खोते जा रहे हैं : नीलम वर्मा

उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी में हुआ लोक संगीत का कार्यक्रम

लखनऊ, 17 अक्टूबर (हि.स.)। लोक गीतों में माटी की खुशबू उड़ी। नीलाक्षी लोक कला कल्याण समिति का ‘लोक रंग उत्सव’ सोमवार को गोमतीनगर स्थित वाल्मीकि रंगशाला, संगीत नाटक अकादमी में हुआ। मुख्य अतिथि उ.प्र. ललित कला अकादमी के अध्यक्ष सीताराम कश्यप, आकाशवाणी लखनऊ केन्द्र के कार्यक्रम निदेशक डॉ सुशील रॉय एवं वरिष्ठ लोक गायिका कमला श्रीवास्तव आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ वंदना जैसवार एवं साथियों ने गणेश स्तुति एवं नृत्य से किया। रोनी सिंह एण्ड पार्टी की बोर्नव प्रतिम नाथ, आरोही कुमारी, इशिका श्रीवास्तव, विदुषी त्रिपाठी, डॉ सोनिका चौहान आदि ने नृत्य प्रस्तुति दी, सौरभ कमल एवं मधूलिका श्रीवास्तव ने भी नृत्य प्रस्तुति दी। मधूलिका श्रीवास्तव, गौरव गुप्ता, अंजलि खन्ना, आरती कुशवाहा, शलिनी राहुल वैद्य आदि ने सोहर, नकटा आदि विभिन्न लोक गीत प्रस्तुत किए।

संस्था की अध्यक्ष नीलम वर्मा ने बताया कि हमारे पारम्परिक लोक गीत, नृत्य आदि फ़िल्मों के प्रभाव से अपना मूल स्वरूप खोते जा रहे हैं। उन्हीं को संजोने और नयी पीढ़ी को अपनी लोक धरोहर से परिचित कराने का प्रयास है।

कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की परिकल्पना एवं निर्देशन प्रदीप कुमार मित्रा एवं नीलम वर्मा का था। कार्यक्रम में मुनालश्री विक्रम विष्ट, जीतेश श्रीवास्तव, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव एवं अन्य अतिथि गण को शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। आशीर्वचन वरिष्ठ लोकगायिका प्रो. कमला श्रीवास्तव ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन राज नारायण ने किया।