मृदा में कार्बनिक पदार्थ ही एकमात्र स्रोत का साधन : डॉ. खलील खान

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— कॉलेज के छात्र छात्राओं को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किया जागरूक

कानपुर,15 मार्च (हि.स.)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मंगलवार को बुद्ध लाल वर्मा इंटर कॉलेज भेवान के छात्र-छात्राओं को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जागरूक किया।

इस अवसर पर केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अशोक कुमार ने छात्र छात्राओं को बताया कि स्ट्रॉ चॉपर कृषि यंत्र से फसल अवशेषों को बारीक टुकड़ों में काटकर भूमि में मिला दिया जाता है। इसके बाद हैप्पी सीडर द्वारा सीधे गेहूं की बुवाई कर देते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं को जागरूक करते हुए बताया कि फसल अवशेषों का मल्च के रूप में प्रयोग करके खरपतवारों को भी कम किया जा सकता है। साथ ही साथ मृदा की सेहत में भी सुधार होता है।

उन्होंने कहा कि फसल अवशेष गर्मी के तापमान को भी कम करता है। फसल अवशेष प्रबंधन के नोडल अधिकारी डॉ. खलील खान ने छात्र छात्राओं को बताया कि मृदा में कार्बनिक पदार्थ ही एकमात्र स्रोत है। जिसके द्वारा मृदा से पौधों को विभिन्न पोषक तत्वों को उपलब्ध हो जाते हैं तथा कंबाइन द्वारा फसल कटाई करने पर अनाज की तुलना में 1.29 गुना अन्य फसल अवशेष होता है। यह मृदा में सड़कर कार्बनिक पदार्थ की वृद्धि करते हैं।

डॉक्टर खान ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि फसल अवशेषों में लगभग सभी पोषक तत्व होते है। लेकिन नाइट्रोजन 0.45 प्रतिशत होता है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने छात्र-छात्राओं को बताया कि फसल अवशेषों में आग लगाने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव, मृदा के भौतिक गुणों पर प्रभाव एवं पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है।

इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन पर स्लोगन, निबंध लेखन, चित्रकला एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य सुभाष चंद्र, अध्यापक जगदीश चंद्र, उमेश सिंह सहित लगभग 200 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।