लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान मंडल बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए लाए गए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 को विधान सभा में पास करा लिया है। बुधवार को यूपी विधान सभा में इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया गया। हांलाकि अभी यह विधेयक विधान परिषद में पास होने के बाद राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। उसके बाद यह एक कानून बन जाएगा।
28 नवंबर, 2020 को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के साथ ही उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू हो गया है। अध्यादेश लागू किए जाने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इसे कैबिनेट ने 24 नवंबर, 2020 को अध्यादेश को मंजूरी दी थी और उसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया था। नियम के अनुसार अध्यादेश को छह माह के भीतर विधान मंडल के दोनों सदनों में मंजूरी दिलानी होती है। इसी के तहत सरकार ने बुधवार को विधान सभा में विधेयक को ध्वनि मत से पारित करा लिया। अब सरकार इस विधेयक को विधान परिषद में ले जाएगी। Ads by Jagran.TV
उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं पर प्रभावी कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मांतरण को लेकर कठोर कानून बनाया है। छल-कपट से, कोई प्रलोभन देकर या जबरन कराए गए धर्मांतरण के लिए प्रदेश में कानून लागू किया गया है। इसके तहत धर्म बदलने के लिए कम से कम 60 दिन यानी दो महीने पहले जिलाधिकारी या संबंधित अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष तय प्रारूप में आवेदन करना अनिवार्य होगा।
आवेदन पत्र में यह घोषणा करनी होगी कि संबंधित व्यक्ति खुद से, अपनी स्वतंत्र सहमति से तथा बिना किसी दबाव, बल या प्रलोभन के धर्म परिवर्तन करना चाहता है। घोषणा करने की तारीख से 21 दिनों के भीतर संबंधित व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी पहचान स्थापित करनी होगी और घोषणा की विषयवस्तु की पुष्टि करनी होगी। जिलाधिकारी धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन व कारण की पुलिस के जरिये जांच कराने के बाद अनुमति प्रदान करेंगे।
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश के प्रमुख बिंदु…
- अध्यादेश के तहत जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में अब जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध होगा। विवाह के जरिये एक से दूसरे धर्म में परिवर्तन भी कठोर अपराध की श्रेणी में होगा। यह अपराध गैरजमानती होगा।
- सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में शामिल संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
- अध्यादेश के उल्लंघन की दोषी किसी संस्था या संगठन के विरुद्ध भी सजा का प्रावधान होगा।
- जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में साक्ष्य देने का भार भी आरोपित पर होगा। यानी कपटपूर्वक, जबरदस्ती या विवाह के लिए किसी का धर्म परिवर्तन किए जाने के मामलों में आरोपित को ही साबित करना होगा कि ऐसा नहीं हुआ।
- यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में होगा और गैर जमानती होगा। अभियोग का विचारण प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में होगा।
- यदि किसी लड़की का धर्म परिवर्तन एक मात्र प्रयोजन विवाह के लिए किया गया तो विवाह शून्य घोषित किया जा सकेगा।
- पीड़िता या पीड़ित के अलावा उसके माता-पिता, भाई-बहन या रक्त संबंधी भी मामले में रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे।
- यह होगी सजा और जुर्माना
यह होगी सजा और जुर्माना
- अध्यादेश में छल-कपट से, प्रलोभन देकर, बल पूर्वक या विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के सामान्य मामले में कम से कम एक वर्ष तथा अधिकतम पांच वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कम से कम 15 हजार रुपये तक जुर्माना होगा।
- नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के मामले में कम से कम दो वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष तक का कारावास तथा कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माना होगा।
- सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में कम से कम तीन वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माना होगा।
तीन और विधेयक पारित : उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 के अलावा बुधवार को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2012, उत्तर प्रदेश शैक्षिक संस्था (अध्यापक संवर्ग आरक्षण) विधेयक-2021 व उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा मान्यकरण विधेयक-2021 भी पारित किया गया।
दो विधेयक रखे गए : विधानसभा में दो विधेयक उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021 व उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक-2021 को पुर-स्थापित किया गया।