रियल एस्टेट में आएगी तेजी, अफोर्डेबल हाउसिंग में टैक्स छूट एक साल के लिए बढ़ी

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नई दिल्ली। बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रियल एस्टेट सेक्टर पर जोर देने की बात कही। बजट में घोषणा की गई कि अफोर्डेबल हाउसिंग और किराए पर घर की योजना पर फोकस किया जाएगा। अफोर्डेबल हाउसिंग में टैक्स छूट को अब एक और साल के लिए बढ़ाया गया है। यानी यह 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी। इसके तहत अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए डेढ़ लाख रुपये की टैक्स छूट मिलेगी। 

बनेगी एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड मैनेजमेंट कंपनी

वहीं बजट में घोषणा की गई है कि एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड मैनेजमेंट कंपनी बनाई जाएगी जो बैंकों के एनपीए को देखेगी। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में बैड लोन से जूझ रहे वित्तीय संस्थानों को राहत मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड से पहले से नकारात्मक असर से जूझ रहे रियल एस्टेट सेक्टर को इस मैनेजमेंट कंपनी से राहत मिलेगी।एक अनुमान के मुताबिक लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये की तनावग्रस्त अचल संपत्ति एआरसी (asset reconstruction and management companies) से तुरंत लाभान्वित होगी। 

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि अतिरिक्त भूमि का मुद्रीकरण किया जाएगा। सरकारी कंपनियों और बीमार सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के तहत यह कोशिश की जाएगी। हालांकि भूमि उपयोग में यह बदलाव शहरी भूमि की मंजूरी, पर्यावरण मंजूरी, विकास प्राधिकरण अनुमोदन आदि के साथ ही होगा। बजट में कहा गया कि विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए इस तरह की भूमि का लाभदायक वाणिज्यिक उपयोग करना महत्वपूर्ण है।  

पिछले बजट (2020) में रियल एस्टेट के लिए बड़ी घोषणाएं और उसके लाभ

इसके पहले बजट 2020 में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 103 लाख करोड़ का आवंटन हुआ था।  वहीं 5 नए स्मार्ट शहर बनाने की दूरदृष्टि से अफोर्डेबल हाउसिंग में उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ा। पिछले साल भी बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग लोन के ब्याज पर अतिरिक्त 1.5 लाख रुपये के टैक्स लाभ को एक साल के लिए बढ़ाया गया था। रियल स्टेट में ट्रांजेक्शन की सीमा बढ़ाने और रियल स्टेट ट्रांजेक्शन में छूट देने से अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में सुधार हुआ था। 

बजट 2021 से ढेरों उम्मीदें

नोटबंदी के बाद से ही उठने की कोशिश कर रहे रियल एस्टेट को वित्त मंत्री के बजट-21 से काफी उम्मीदें थीं। कोरोना संकट के चलते फंसे रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए भी डेवलपर्स अलग फंड बनाने की मांग कर रहे हैं। होम लोन के ब्याज़ में डिडक्शन को 2 लाख से बढ़ाने और SEZ को बढ़ावा देना भी बिल्डरों की मांगों की सूची में शामिल है। कहा जा रहा है कि 30 लाख रुपये या इससे कम के किफायती दरों पर बैंकों को 90 फीसद तक होम लोन दिया जाए। वहीं सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिए सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराना भी बेहतर होगा।