अलविदा वर्ष 2020, पुलिस के सभी गुड वर्क पर फेरा चर्चित विक्रम त्यागी अपहरण कांड ने पानी

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पुलिस और एसटीएफ के तमाम प्रयास के बाद भी नहीं लगा कोई सुराग
गाजियाबाद। वर्ष 2020 जाने को है। कुछ दिन ही शेष बचे हैं। इस साल पुलिस ने अनेकों गुड वर्क किए और एक से एक सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया, लेकिन पुलिस के इन सभी गुड वर्क पर चर्चित विक्रम त्यागी अपहरण कांड में पानी फेर कर रख दिया है। पुलिस और एसटीएफ के तमाम प्रयास के बाद भी पुलिस बिल्डर विक्रम त्यागी का पता लगाने में नाकामयाब रही है। विक्रम त्यागी की बरामदगी को लेकर काफी बवाल हुआ। जहां लोग सड़कों पर उतरे, वहीं अधिकारियों और उनके कार्यालयों का घेराव भी किया गया। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पीड़ित परिजनों और उनके शुभचिंतकों को एक ही जवाब देते रहे की छानबीन जारी है। विक्रम त्यागी का जल्द पता लगा लिया जाएगा, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

बता दें कि राजनगर एक्सटेंशन की केडीपी ग्रेड सवाना सोसाइटी में रहने वाले बिल्डर विक्रम त्यागी 26 जून को पटेल नगर स्थित अपने ऑफिस से घर के लिए चले थे। इसके बाद से उनका कुछ पता नहीं है। उनकी कार मुजफ्फरनगर में मिली थी। जिसमें खून के निशान भी पाए गए थे। इसके बाद विक्रम त्यागी की बरामदगी की मांग को लेकर विभिन्न संगठन, वकील और समाज के लोग ने लगातार संघर्ष किया। लोगों में बढ़ते हुए क्रोध को देखते हुए पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने मामले की जांच एसटीएफ को भी सौंप दी थी। इसके साथ ही क्राइम ब्रांच समेत 10 टीमें विक्रम त्यागी की तलाश में लगा गया था।

जानकारी देने वाले को की थी 50 हजार का इनाम देने की घोषणा, मामले में पुलिस ने विक्रम त्यागी के नाम के पोस्टर जगह-जगह चस्पा किए थे और लिखा था कि विक्रम त्यागी के बारे में जानकारी देने वाले को 50 हजार का इनाम दिया जाएगा। इसके साथ ही उसका नाम और पता गुप्त रखा जाएगा।

खंगाली थी 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज
विक्रम त्यागी की बरामदगी को लेकर लोगों में देखे जा रहे विरोध के साथ साथ पुलिस पर मामले के पटाक्षेप को लेकर राजनीतिक दबाव भी था। जिसको लेकर पुलिस ने विक्रम त्यागी का पता लगाने के लिए एड़ी से चोटी तक की ताकत लगा दी थी। पुलिस ने 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली थी। बावजूद इसके नतीजा वहीं रहा ढाक के तीन पात।

विक्रम त्यागी का था गाड़ी में मिला खून
पुलिस को विक्रम त्यागी की गाड़ी अपहरण कांड के बाद मुजफ्फरनगर के ग्राम तितारी में मिली थी। जिसमें खून के निशान पाए गए थे। जिनको डीएनए टेस्ट के लिए भेजा था। जिसकी रिपोर्ट से यह सिद्ध हुआ था कि गाड़ी में मिला खून विक्रम त्यागी का ही था।

कई जिलों की पुलिस रही है असफल
विक्रम त्यागी का पता लगाने में न केवल गाजियाबाद पुलिस लगी थी बल्कि इससे अलग मुजफ्फरनगर और मेरठ के अलावा कई जिलों की पुलिस लगी हुई थी, लेकिन तमाम प्रयास के बाद भी विक्रम त्यागी का कुछ पता नहीं चल सका।

लावारिस शवों के साथ खंगाली गई नहरें
विक्रम त्यागी का पता लगाने में पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लावारिस शवों के साथ साथ कई नहर को भी खंगाला गया। इसके साथ ही तमाम प्रयास किए गए। दर्जनों लोगों को उठाकर पूछताछ की गई। इसके बाद भी विक्रम त्यागी का कुछ पता नहीं चल सका।

क्या कहते हैं विक्रम त्यागी के परिजन
बिल्डर विक्रम त्यागी के चाचा संजय त्यागी का कहना है कि पुलिस ने मामले में शुरुआती दौर में लापरवाही बरती। लॉकडाउन में कर्फ्यू लगा हुआ था, बावजूद इसके विक्रम त्यागी का अपहरण हो जाना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है। उनका कहना है कि बदमाश पुलिस से दो कदम आगे हैं, तभी वह शिकंजे में नहीं आए। उनका कहना है कि अब भी पुलिस टीम विक्रम त्यागी का पता लगाने में लगी हुई है, लेकिन अंधेरे में तीर चलाने वाली बात हो रही है।