भारतीय टीम के लिए हार्दिक पांड्या का दूसरा अवतार रहेगा मददगार

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नई दिल्ली। भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज के पहले मुकाबले में जब छठे गेंदबाज की कमी खली तो सभी ने हार्दिक पांड्या के चयन पर सवाल उठाए थे, क्योंकि वे गेंदबाजी करने में असमर्थ थे। हार्दिक पांड्या को पहले वनडे मैच में एक बल्लेबाज के तौर पर खिलाया था, जो आखिरी में तेजी से रन बना पाएं और मैच फिनिशर की भूमिका में नजर आएं, लेकिन क्रिकेट पंडित उनसे गेंदबाजी की भी उम्मीद रख रहे थे।

कमर की सर्जरी कराने के बाद हार्दिक पांड्या गेंदबाजी नहीं करा रहे थे, लेकिन बतौर बल्लेबाज पहले मैच में उन्होंने 90 रन की पारी नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते हुए खेली तो सभी को बोलती बंद हो गई। इसके बाद से उनका दूसरा अवतार देखने को मिल रहा था। इसके पीछे की वजह ये थी कि उन्होंने बतौर बल्लेबाज खेलते हुए जल्दबाजी नहीं मचाई। हालांकि, वो मैच भारतीय टीम जीत नहीं पाई थी, लेकिन उन्होंने खुद को एक बल्लेबाज के तौर पर साबित किया था।

हार्दिक पांड्या 2.0 कैसे बने

वनडे सीरीज के पहले मैच के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि वे शादी करने के बाद और बेटे के पैदा होने के बाद जिम्मेदारी समझने लगे हैं। बेटे के जन्म के बाद से वे खुद में बदलाव देखने लगे हैं। इस बात के संकेत सीरीज के दौरान मिले, जब वे मैदान पर नजर आए। पूरी सीरीज में उन्होंने बतौर बल्लेबाज खेला, लेकिन एक मैच में मजबूरी में गेंदबाजी भी की और चार ओवर कराए। उस मुकाबले में उनको एक सफलता भी मिली।

सीरीज में पांड्या का प्रदर्शन

तीन मैचों की वनडे सीरीज में हार्दिक पांड्या भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। उन्होंने 3 पारियों में 105 के औसत और 114.75 के स्ट्राइकरेट से 210 रन बनाए, जिसमें 15 चौके और 6 छक्के शामिल थे। पांड्या आरोन फिंच (249) और स्टीव स्मिथ (216) के बाद सीरीज के तीसरे सबसे बड़े रन स्कोरर थे। एक मैच में 4 ओवर गेंदबाजी करते हुए पांड्या ने 24 रन दिए और 1 सफलता हासिल की। इससे उनकी जिम्मेदारी भी सिद्ध हो गई।

क्यों खास रहे पांड्या

हार्दिक पांड्या के नए अवतार की बात इसलिए भी की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने तीनों ही मैचों में खराब शॉट खेलकर अपना विकेट नहीं गंवाया। उन्होंने जरूरत पड़ने पर ही बड़े शॉट लगाए और खराब गेंद मिलने पर उन्होंने उन पर बाउंड्री लगाने की कोशिश की। आखिरी वनडे मैच में तो उन्होंने ऐसी बल्लेबाजी की, जिसने धौनी की याद दिला दी, क्योंकि पांच विकेट गिरने के बाद उन्होंने रवींद्र जडेजा के साथ 150 रन की अटूट साझेदारी की थी।

भारतीय टीम को मिलेगी मदद

कई बार देखा जाता है कि जब टॉप ऑर्डर फ्लॉप हो जाता रहा है तो निचला क्रम भी बल्लेबाजी करने में असफल रहता है। अगर हार्दिक पांड्या ऐसे ही जिम्मेदारी से बल्लेबाजी करते रहे और मैच फिनिश करते रहे तो फिर भारतीय टीम के लिए ये अच्छी बात होगी, क्योंकि लगातार तीन साल भारतीय टीम को तीन वर्ल्ड कप खेलने हैं, जिसमें 2021 और 22 का टी20 वर्ल्ड कप और 2023 का वनडे वर्ल्ड कप का शामिल हैं।