यूपी: बिजली विभाग के कर्मचारियों ने समझौता के बाद खत्म की हड़ताल, निजीकरण 15 जनवरी तक टला

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पुरे प्रदेश में सोमवार से शुरू हुआ बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं का कार्य बहिष्कार मंगलवार शाम को खत्म हो गया। कैबिनेट उप समिति के बीच वार्ता में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की सहमति बन जाने के बाद कार्य बहिष्कार समाप्त करने का एलान किया गया।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और मुख्य सचिव आर. के. तिवारी की मौजूदगी में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों व पावर कार्पोरेशन प्रबंधन के बीच समझौते पर दस्तख किए गए। शासन की ओर से अपर मुख्य सचिव ऊर्जा व पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार, राज्य विद्युत उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक सैंथिल पांडियन व निदेशक ए.के. पुरवार ने भी समझौते पर दस्तखत किए।

समझौते में कहा गया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण का प्रस्ताव राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। इसके अलावा पूर्वांचल निगम के संबंध में  किसी अन्य व्यवस्था का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। बीती देर रात तक बैठक में भी लगभग इन्हीं मुद्दों पर सहमति बन गई लेकिन अरविंद कुमार के समझौते पर दस्तखत करने से इन्कार कर दिया। जिस की वजह से टकराव बढ़ गया था। सोमवार रात में बैठक विफल हो जाने के बाद कार्य बहिष्कार का व्यापक असर नजर आने लगा था।

मंगलवार को राजधानी समेत पूरे प्रदेश में बिजली गुल कर दी गई। इसी बीच पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी कार्य बहिष्कार में शामिल होने का एलान कर दिया जिससे हालात और बिगड़ गए। दिन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री व शासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।

इसके बाद कैबिनेट उप समिति को संघर्ष समिति से बात करके गतिरोध समाप्त करने का जिम्मा सौंपा गया। कैबिनेट उप समिति के साथ वार्ता में फिलहाल पूर्वांचल निगम का निजीकरण न करने पर सहमति हो गई। समझौते में कहा गया है कि प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही बिजली सुधार के लिए कर्मचारियों व अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जाएगी।

कर्मचारियों व अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। यह भी सहमति हुई है कि वितरण क्षेत्र को भ्रष्टाचार से मुक्त करने, बिलिंग व वसूली का लक्ष्य प्राप्त करने तथा उपभोक्ताओं को पुरी तरह संतुष्ट करते हुए विद्युत उपकेंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने में संघर्ष समिति प्रबंधन का पूरा सहयोग करेगी।

समझौते में स्पष्ट लिखा गया है कि वर्तमान आंदोलन के कारण किसी भी संविदा कर्मी, बिजली कर्मचारी, अवर अभियंता एवं अभियंता के विरुद्ध किसी प्रकार की उत्पीड़न की कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुधार के इस काम की 15 जनवरी 2021 तक ऊर्जा मंत्री, प्रबंधन व संघर्ष समिति द्वारा मासिक समीक्षा की जाएगी।