फ़िल्म समीक्षा: लूटकेस

Share

लूटकेस फ़िल्म समीक्षा – डिज्नी + हॉटस्टार

कोरोना के इस समय में जब ज़्यादातर लोग घर बैठने को मजबूर हैं और सिनेमाघर जल्दी खुलने के आसार नही हैं, ऐसे में ज़्यादातर निर्माता और प्रोडक्शन हाउस अपनी फिल्में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज़ करने को मजबूर हैं। देखा जाए तो ये, प्रोड्यूसर्स और दर्शक, सबके लिए फायदे का सौदा है। जहां छोटे बजट निर्माता अपनी फिल्मो की लागत निकालने में कामयाब रहते हैं वहीं दर्शकों को भी नया कंटेंट मिलता रहता है, वो भी अपने घर की सुविधा पर और बिना किसी रुकावट के।

इसी श्रृंखला में 31 जुलाई को एक नए तरीके का टकराव देखने को मिला जब कई सारी फिल्में और वेब सीरीज एक ही दिन रिलीज़ हुई। इन्ही में एक फ़िल्म थी लूटकेस जो कि डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई। इसी फिल्म की समीक्षा के साथ हम हाज़िर हैं।

लूटकेस एक कॉमेडी थ्रिलर फिल्म है। फ़िल्म की कहानी एक  प्रिंटिंग प्रेस में रिपेयर मैन का काम करने वाले मध्यमवर्गीय नंदन कुमार(कुणाल खेमू) के बारे में है जिसके परिवार में उसकी पत्नी लता(रसिका दुगल) और एक बेटा है, जो परिवार की माली हालत से बहुत खुश नही हैं। इन्ही परिस्थितियों के चलते नंदन कुमार के हाथ एक रात 10 करोड़ रुपयों से भरा एक सूटकेस लग जाता है जोकि दरअसल एक एमएलए पाटिल(गजराज राव) का है। नंदन सूटकेस को घर लाकर अपने परिवार को बिना बताए छुपा देता है।

इन्ही सबके बीच में एक लोकल डॉन बाला(विजय राज) को भी उस सूटकेस की तलाश है। पाटिल सूटकेस ढूंढने के लिए इंस्पेक्टर गोलते(रणवीर शोरी) की मदद लेता है। आखिर उस सूटकेस में और ऐसा क्या है? क्या गोलते वो सूटकेस ढूंढ पायेगा? क्या नंदन वो सूटकेस बचा पायेगा? ये जानने के लिए आपको लूटकेस देखनी पड़ेगी।

लूटकेस एक बहुत ही उम्दा फ़िल्म है जो हास्य के माध्यम से अपनी बात रखती है। फ़िल्म का बेहतरीन पक्ष है इसकी अदाकारी। वैसे तो फ़िल्म में कई जाने माने नामी कलाकार हैं जो अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय करते हैं। फ़िल्म के हीरो कुणाल खेमू नंदन के किरदार में खूब जमे हैं और वो एक आम आदमी के किरदार को बखूबी निभा पाए हैं। उनकी पत्नी लता के रूप में रसिका दुगल का अभिनय सराहनीय है। फ़िल्म के एक और अहम किरदार लोकल डॉन बाला को विजय राज ने बेहतरीन तरीके निभाया है।

फ़िल्म की जान है जाने माने सबके चहेते गजराज राव जो पाटिल के किरदार में अपनी अभिनय और डायलॉग्स से आपको खूब हंसाते हैं। किस तरह से अपनी बात को घुमा फिरा कर अपना काम निकलवाने की अदा से आप हंसने पर मजबूर हो जाते हैं। फ़िल्म का एक और मजबूत पक्ष है रणवीर शोरी की अदाकारी। कड़क पुलिस आफिसर गोलते के रूप में उनका अभिनय फ़िल्म को एक अलग दिशा देता है और बेहतरीन छाप छोड़ता है।

फिल्म का सबसे सराहनीय पक्ष है कि ये फ़िल्म आप अपने परिवार के साथ बैठ कर देख सकते हैं। आजकल के ज़माने में जहां ज़्यादातर वेब सीरीज और फिल्में अश्लीता, फूहड़पन और बेवजह और बेशुमार गालियों से भरी होती हैं, ये फ़िल्म एक साफ सुथरी फ़िल्म है जिसकी पटकथा कसी हुई है और फ़िल्म सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती है, यानी कि आपको हंसाना, और इस में कहीं भटकती नही है। यदि ये कहा जाए कि पिछले हफ्ते रिलीज़ हुई सभी फिल्मों में मनोरंजन के हिसाब से लूटकेस सबसे बेहतरीन फ़िल्म है, तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।

डायलॉग्स यकीनन आपको गुदगुदाते हैं। फ़िल्म में कुछ गाने हैं जिनके बिना भी काम चल सकता था। एडिटिंग के हिसाब से यदि फ़िल्म 15-20 मिनट और छोटी होती तो और बेहतर और मज़ेदार हो सकती थी। पर फिर भी, कुल मिलाकर यह एक बेहतरीन फ़िल्म है जो आप परिवार के साथ देख सकते हैं।

मनोरंजन मीटर पर 5 में से 3.5 स्टार की हकदार।

दीपक चौधरी
फ़िल्म समीक्षक