विदेश यात्रा से लौटने वालों को सात दिन पेड क्वेरेंटाइन में रहना होगा

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अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने सूबे के सभी जिला अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को क्वेरेंटाइन को लेकर संशोधित गाइड लाइन भेजी है । संशोधित गाइड लाइन के मुताबिक अब विदेश से आने वाले सभी यात्रियों को एक सप्ताह तक आवश्यक रूप से इंस्टीट्यूशनल क्वेरेंटाइन में रहना होगा। इंस्टीट्यूशनल क्वेरेंटाइन में रहने का भुगतान भी यात्री को खुद करना होगा। इसके बाद एक सप्ताह वह होम क्वेरेंटाइन में रह सकेगा, बशर्तें उसके घर में इतनी जगह हो। कुछ विशेष परिस्थितियों में पहले सात दिन भी होम क्वेरेंटाइन की सुविधा प्राप्त करने के लिए आवेदन किया जा सकता है, जो यात्रा शुरू करने से 72 घंटे पूर्व ही करना होगा।

इतना ही नहीं उसे यात्रा शुरू करने से 72 घंटे पूर्व भारत सरकार के पोर्टल पर सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा। इसके साथ ही इस बात की सहमति भी देनी होगी कि वह अनिवार्य रूप से 14 दिन तक क्वेरेंटाइन में रहेगा। जिन यात्रियों के पास पृथक बेडरूम और बाथरूम की व्यवस्था उपलब्ध नहीं होगी, उन्हें पूरे 14 दिन तक इंस्टीट्यूशनल क्वेरेंटाइन में रहना होगा। सीएमओ डा. एनके गुप्ता ने बताया कि पहले सात दिन के लिए जरूरी इंस्टीट्यूशनल क्वेरेंटाइन से छूट के लिए केवल वही यात्री आवेदन कर सकेंगे, जो गर्भावस्था में हों, जिनके घर में किसी की मृत्यु हुई हो, किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हों या दस वर्ष से कम आयु के बच्चों का अभिभावक हों। होम क्वेरेंटाइन में रहने के लिए भी यात्रा शुरू करने के कम से कम72 घंटे पहले ही आॅनलाइन आवेदन करना होगा।

आवेदन के साथ यात्रा आरंभ करने के 96 घंटे पूर्व की निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट भी संलग्न करनी अनिवार्य होगी। साथ ही रिपोर्ट की प्रमाणिकता के संबंध में यात्री को सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा। यदि रिपोर्ट गलत पाई जाती है तो आपराधिक कृत्य मानते हुए यात्री के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आरटी-पीसीआर रिपोर्ट भारत में आगमन स्थल पर पहुंचने पर उपलब्ध कराई जा सकेगी।

अल्प अवधि यात्रा से लौटने की स्थिति में पांच दिन तक किसी अन्य प्रदेश की यात्रा से लौटने पर लक्षण विहीन होने की स्थिति में क्वेरेंटाइन में रहने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन लक्षण होने पर होम क्वेरेंटाइन में रहते हुए तत्काल अपनी कोविड जांच करानी होगी। लेकिन होम क्वेरेंटाइन के लिए जरूरी पृथक बेडरूम, बाथरूम और देखभाल हेतु सक्षम व्यक्ति उपलब्ध न होने पर इंस्टीट्यूशनल क्वेरेंटाइन में रहना होगा। जांच परिणाम निगेटिव आने पर क्वेरेंटाइन की जरूरत नहीं होगी।