पुरोहित या कर्म करने वाले ब्राह्मणों की भी सुध ले सरकार

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आचार्य नीरज रतूडी शिक्षा शास्त्री जी का कहना है, ऐसे ब्राह्मण जो प्रतिदिन पूजा पाठ या मन्दिरों की सेवा द्वारा ही अपनी आजीविका का निर्वहन करते हैं, जो सरकार द्वारा जारी किसी भी राहत पैकेज की श्रेणियां में नहीं आते हो, जो सामन्य वर्ग के होकर ओर वो कर्मकांडी ब्राह्मण जो किसी मन्दिर के पुजारी, आचार्य या पुजारी अधीनस्थ पूजन-पाठ करके अपने परिवार का पालन पोषण करते है उनकी सहायता के लिये भी सरकार कुछ निर्णय नहीं ले रही है सामान्य वर्ग ब्राह्मण आरक्षण की मार से पहले ही दबा है।

ये परेशानियाँ उसके परिवार के लिये स्वयं उसके रोजगार के लिये घातक हो गई । ओर इस कोरोना वायरस की वजह से घर से बाहार ना निकलना इस लॉकडाउन संकट की घड़ी में सरकार की योजनाओं से ब्राह्मण वर्ग वंचित है ,अत: यह संदेश द्वारा यह प्रत्येक ब्राह्मण की आवाज है माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी से । ओर अभिलाषा है कि उन सभी प्रत्येक ब्राह्मण को भी राहत राशि सहायता प्रदान की जायें। क्योकि न उनका व्यवसाय है ना उनका कोई फंड कटता है ।

ना उनके लिये कोई मैडिकल इलाज है ।ऐसे में सरकार आगे नहीं आयेगी तो कैसे चलेगा ऐसे वैदिक ब्राह्मण का रोजगार समूचित रूप से संकट में है क्योकि प्रत्येक ब्राह्मण सरकार द्वारा लॉकडाउन के नियमो का भरपूर पालन कर रहें है लेकिन सरकार का इसमें कोई ध्यान नहीं है इस कलिकाल में प्रकृति ने तो अपना प्रचंड रूप दिखा दिया है ओर इसी कलि काल में भूदेव स्वरूप को भी अपना नियमित रोजगार ना होने के कारण परेशानियां इस कोरोना के वजह पृथ्वीलोक में भुगतनी पड़ रही हैं।

नियमित रोजगार ना होने के कारण उनके परिवार में भी इतनी परेशानियां आज तक कभी नही हुई ज्यादा कुछ ना लिखकर इन शब्दों को पढ़कर यदि सभी अम्ल करें ओर समभाव होते हुए ब्राह्मणों की पीड़ा देखी जाये तो जो लिखा है उसमे ये परेशानी की परिस्थितियां देखने को मिलती है सरकार से अपील है कि वो इस देश के नागरिक है

ओर एक प्रायोगिक, निष्ठावान ओर कर्मठ सरकार बनाने में ब्राह्मण जाति का वोट भरपूर सरकार को प्राप्त होता है तो उनका हक है कि ओर सरकार का कर्तव्य है कि इस घड़ी में उनके आर्थिक या किसी भी राहत सामग्री से उनकी सहायता करें ।।प्रत्येक ब्राह्मण की सम्पूर्ण धारणाओ को प्रेषित किया है इस समाचार में अन्त में वेदों की कही बात ओर ब्राह्मण द्वारा पूजा-पाठ में मन मे इस मंत्र से समभाव प्रार्थना कही कि

-“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्: ॥”सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।”जय भूदेव

ब्राह्मण लोग ज्यादतर अपनी आजीविका के लिए आप लोगो के घरो में पूजा पाठ या शादी व्याह समारोह पर निर्भर रहते है। मगर आजकल मंदिर बंद है शादी व्याह बहुत कम हो रहे है ऐसे में इस वर्ग के ऊपर बड़ा ही धर्म संकट आ गया है।