जब गांधी जी ने भी कहा था “वोकल फ़ॉर लोकल”….

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अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि इकोनॉमी किसी भी देश की रीढ़ होती है। अगर इसे कमजोर कर दिया जाये तो देश तरह से कमजोर हो जाता हैं।


स्वदेशी आंदोलन महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया यह आंदोलन का मुख्य उद्देश्य यह था कि दूसरे देशो में बनी हुई वस्तुये भारत में इस्तमाल ना की जाये। इससे दो फायदे है एक तो अपने देश की इकोनॉमी बढ़ेगी और अपने देश का रोज़गार एक अच्छे स्तर पर आएगा। इससे दूसरे देशो के साथ इंग्लैंड की भी इकोनॉमी कमजोर पड़ेगी। यह बताया जाता हैं कि भारत पर राज करने वाली ब्रिटिश सरकार की बड़ी इकोनॉमी हमारे बाजारों पर निर्भर थी। इसे कमजोर करने के लिए महात्मा गाँधी ने “स्वदेशी आंदोलन ” चलाया इससे भारतीयों के रोजगार और आर्थिक मजबूती भी मिली।


1906 में महात्मा गाँधी ने स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की। इसके तहत गाँधी जी ने दूसरे देशो में बने सामान, कपडे, और मसालों का बहिष्कार करने का आहान किया। इस आंदोलन मे गाँधी जी को काफी बल मिला और यह उनका सफल आंदोलन था।


इसी के चलते बीती शाम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी अपने भाषण में बोला ” वोकल फॉर लोकल ” अर्थात इसका मतलब यह कि हमें लोकल में बने वस्तुये को ही इस्तमाल करना हैं। जो हमारे देश में वस्तुये बनी हो उसी का प्रयोग करे इससे हमारी इकोनॉमी और अर्थव्यवस्था में काफी सुधार होगा। इस महामारी से देश एकजुट होकर लड़ा वैसे ही हम सभी इसका भी समर्थन करें।
PM मोदी ने कहाँ की कोरोना महामारी के दौरान हमें इसी लोकल ने बचाया है, यह देश की ताक़त है जिसे हमें पहचानना होगा। उन्होंने कई सारी बाते भी कही जैसे की :-


PM मोदी ने कहाँ की कोरोना महामारी के दौरान हमें इसी लोकल ने बचाया है, यह देश की ताक़त है जिसे हमें पहचानना होगा। उन्होंने कई सारी बाते भी कही जैसे की :-

  • इस संकट ने हमें बताया कि लोकल प्रोडक्ट और लोकल सप्लाई चेन कितनी जरुरी है.।
  • हमें लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देना है, लोकल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
  • लोकल से ग्लोबल बनना है।
  • आज से हर भारतवासी को लोकल के लिए वोकल बनना है।
  • ना केवल लोकल प्रोडक्ट खरीदना है बल्कि उसका प्रचार भी करना है।