कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गैरकानूनी- स्वास्थ्य मंत्रालय

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– जानिए क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी

नई दिल्ली :- कोविड-19 के कारगर इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गैरकानूनी बताया है। मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी अभी ट्रायल के  तौर पर है। दुनिभार में कोविड के इलाज के लिए इस थेरेपी का प्रयोग के रूप में ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका प्रयोग जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।

निजी अस्पतालों में इस्तेमाल किए जा रहे प्लाज्मा थेरेपी पर लव अग्रवाल ने बताया कि निजी अस्पताल में बिना किसी अनुमति के कोविड-19 के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल होता है, तो वो गैरकानूनी होगा। इस थेरेपी पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) अध्ययन कर रहा है। जब तक अध्ययन से कुछ ठोस नतीजे नहीं आ जाते तबतक इसे इलाज के रूप में देखना सही नहीं है। इस थेरेपी का मरीजों पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार के एलएनजेपी अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी पर अध्ययन का काम चल रहा है। दिल्ली सरकार सहित कई राज्यों ने इस थेरेपी को अपनाने की बात कही है औऱ कोरोना से ठीक हुए लोगों से प्लाजमा डोनेट करने की अपील की है। इसके साथ कुछ निजी अस्पतालों ने भी इस थेरेपी के माध्यम से कोविड के मरीज का सफल इलाज करने का दावा किया है।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी:

प्लाज्मा थेरेपी तकरीबन 100 साल से अधिक पुरानी चिकित्सीय उपचार पद्धति है। 1918 में स्पैनिश फ्लू के दोरान भी इस थेरेपी से इलाज किया गया था। इस थेरेपी में बीमारी से ठीक हुए व्यक्ति से प्लाज्मा ले कर कोरोना से पीड़ित मरीज को चढ़ाया जाता है। इस तकनीक से मरीज के शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज विकसित होती है।