पुलिस का किसानों पर पहरा, दिन भर रखा घर में नजरबंद

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नोएडा: नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ 21 दिन से धरना दे रहे किसानों पर रविवार को दिनभर पुलिस का पहरा रहा। सेक्टर-70 में किसान संघर्ष समिति के प्रमुख और धरना प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे सुखवीर पहलवान के घर पर दोपहर से लेकर रात तक किसानों को नजरबंद रखा गया। पुलिस की कई गाड़ियां इस दौरान पहरे पर लगी रहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में होने की वजह से पुलिस ने यह कार्रवाई की है। पुलिस व प्रशासन के इस व्यवहार से किसान निराश हैं। उनका कहना है कि सरकार व उसके अधिकारी किसानों के साथ इतना सौतेला व्यवहार करेंगे इसका अंदाजा नहीं था। अब 2022 के चुनाव में सरकार को इस निराशा का असर देखने को मिलेगा।

नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ किसानों का धरना जारी है। इस दौरान उन्हें जेल भी भेजा गया। दो बार कई सौ किसानों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। बैरिकेड तोड़ने के दौरान पुलिस के साथ हुए संघर्ष में महिलाएं भी घायल हो चुकी हैं। दो बार घंटों तक वार्ता हुई लेकिन विफल रही। जिला प्रशासन ने भी किसानों व अथॉरिटी के बीच सुलह का रास्ता निकलवाने के लिए प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाया।

सीएम से मुलाकात न होने से रोष में है किसान

किसान संघर्ष समिति के मुखिया सुखवीर पहलवान ने बताया कि विधायक पंकज सिंह के साथ शनिवार को देर तक किसानों की मीटिंग हुई। इसमें हमने यह अपील की थी कि सीएम करीब 20 घंटे शहर में रहेंगे। विधायक जनप्रतिनिधि होने के नाते इस मुद्दे पर हमारी सीएम से मुलाकात करा दें। जिला प्रशासन के सामने भी हमने यह मांग रखी थी। हमारी मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं कराई गई। हमारी आवाज पर ताला लगाने के लिए पूरे दिन घर में नजरबंद रखा गया। इससे हमारे किसान साथियों में रोष है। यह किसी एक किसान का मुद्दा नहीं है। इससे हजारों किसान जुड़े हुए हैं। सभी में इस बात से निराशा है।

और मजबूत हो सकता है किसानों का प्रदर्शन

किसानों का यह धरना नोएडा के 81 गांवों से जुड़ा हुआ है। अथॉरिटी फिलहाल इस धरने को खत्म करने का रास्ता नहीं निकाल पा रही है। हाल ही में अथॉरिटी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में किसानों को तथाकथित लिखने व बरगलाने का आरोप लगाने से किसानों का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया है। विपक्ष से सपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी इस मुद्दे पर किसानों के साथ है। अन्य किसान संगठन व सीटू भी किसानों के धरने को समर्थन दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस पूरे माहौल का असर 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान पड़ना तय है। बीजेपी के प्रति बढ़ रहा किसानों का यह रोष चुनाव के समीकरण बिगाड़ सकता है।