नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को चार दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने दोषियों को कहा कि अगर किसी को कोई अर्जी दाखिल करनी है तो एक हफ्ते के भीतर करे। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करने से इंकार कर दिया।
हाईकोर्ट बोला कि जब वर्ष 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के गुनहगारों की अपील खारिज कर दी थी तो कोई डेथ वारंट जारी करवाने के लिए आगे क्यों नहीं आया। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने शनिवार और रविवार को विशेष सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।
केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि चारों दोषी न्याय व्यवस्था का गलत फायदा उठाकर फांसी टालने की कोशिश कर रहे हैं। लिहाजा चारों दोषियों में से जिनकी दया याचिका खारिज हो चुकी या किसी भी फोरम में कोई याचिका लंबित नही हो, उन्हें तुरंत फांसी पर लटका दिया जाए। किसी एक दोषी की याचिका लंबित होने से शेष तीन को राहत नहीं दी जानी चाहिए।
इससे पहले रेप पीडि़ता के माता-पिता ने हाईकोर्ट से सरकार की इस याचिका पर जल्द निर्णय का अनुरोध किया। उल्लेखनीय है कि चार दोषियों में से मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास खारिज हो चुकी है, जबकि पवन ने यह याचिका अभी दाखिल नहीं की है। अक्षय की दया याचिका एक फरवरी को दाखिल हुई और अभी यह लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के अपने फैसले में हाईकोर्ट और निचली अदालत द्वारा दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था।