11 दिन पहले हुई थी किसी की शादी तो कोई निकला था दूध लेने, जानें 4 खौफनाक किस्से दिल्ली हिंसा के

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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में पिछले तीन दिनों से हो रही हिंसा में मारे गए लोगों में कुछ अलग तो बहुत कुछ साझा था। अलग मजहब, कद-काठी, उम्र भी अलग-अलग। अलग इलाकों के रहने वाले। साझा था तो सपना, अपने परिवार का भरण-पोषण और भविष्य संवारना। अपने गांव-कस्बों में रोजगार नहीं मिला तो अवसर तलाशते हुए ये लोग दिल्ली चले आए। दिल्ली के बाहरी मुहल्लों में बजबजाती नालियां और तंग गलियों में बने दड़बेनुमा कमरों में रहने लगे। अचानक एक दिन भीड़ इन्हें घेरकर मार डालती है या किसी तरफ से आई गोली का निशाना बन जाते हैं। बीते चार दिन में मारे गए लोगों की हर कहानी से दर्द का सागर फूटता है।

गुरु तेग बहादुर अस्पताल के शव गृह के बाहर बुधवार को इनके परिजनों की कभी रुलाई फूटती है तो कभी बहुत देर तक सन्नाटा छा जाता है। हर तरफ गम, गुस्सा और शोर का माहौल था। मरने वालों के परिजनों की आंखों में आंसू की जगह सवाल हैं। आखिर किसके लिए किसको मार दिया? सुना तो यह था कि दिल्ली सबकी है। एक पिता की चीत्कार में डूबी आवाज गूंजती है- भइया, गांव में ही मजूरी कर लेते, काहे दिल्ली आए।

1. कहीं से गोली चली और फुरकान को आ लगी
कर्दमपुरी में रहने वाला बिजनौर का मूल निवासी फुरकान हैंडीक्राफ्ट का काम करता था। उसकी चार साल की बेटी और दो साल के बेटे को लेकर उसके कई सपने थे। वह घर से बाहर गया और कहीं से आई गोली लग गई। फुरकान के भाई इमरान ने बताया कि उसे घायल होने की सूचना फोन पर मिली। जीटीबी अस्पताल आया तो देखा कि भाई की मौत हो चुकी है। परिजन पोस्टमार्टम के बाद शव के इंतजार में खड़े हैं। फुरकान पर पहले कोई मामला दर्ज नहीं था।

2. अशफाक की 11 दिन पहले हुई थी शादी

बुलंदशहर के सासनी गांव से अशफाक अपने सपने पूरे करने दिल्ली आए थे। 11 दिन पहले ही अशफाक की शादी हुई थी। वह इलेक्ट्रिशियन था। हिंसा के समय वह बिजली ठीक करने गए थे। दंगाइयों ने अशफाक को पांच गोली मारी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। अशफाक हुसैन चार भाई और चार बहन हैं। शवगृह पर आए उनके चाचा बताते हैं कि वह पढ़ना चाहता था। जिंदगी की जरूरत उसे दिल्ली ले आई और यहां जिंदगी ही चली गई।

3. कपड़े खरीदने निकले दीपक की गई जान
बिहार के गया से काम की तलाश में दिल्ली आए दीपक को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी। करीब आठ साल पहले दीपक की शादी हुई थी। वह परिवार के साथ दिल्ली के मंडोली इलाके में रहकर मजदूरी कर रहा था। परिवार में पत्नी के अलावा एक लड़का और दो लड़की हैं। वह अपने बच्चों को पढ़ाकर बड़ा इंसान बनाना चाहता था। मंगलवार को वह जाफराबाद में कपड़े खरीदने गया था, जहां भीड़ ने उसपर हमला कर दिया। उसी समय दीपक को गोली लगी और उसकी मौत हो गई। परिवार में वह अकेला कमाने वाला था।

4. दूध लेने गया राहुल वापस नहीं आया
शिव विहार के बाबू नगर में रहने वाला 26 साल का राहुल सोलंकी सोमवार शाम घर से बाहर दूध खरीदने गया था। रास्ते में उसे लोगों ने घेर लिया। परिजनों ने कहा कि उसकी मौत गोली लगने की वजह से हुई है।
राहुल परिवार में सबसे बड़ा था और एक निजी कंपनी में काम करता था। उसकी दो बहनें और एक भाई है। राहुल की मौत सोमवार शाम को हुई थी। शव लेने के लिए उसकी बहनें और परिवार के अन्य सदस्य गुरु तेग बहादुर अस्पताल के शव गृह के बाहर बैठे थे। राहुल के चाचा अरब सिंह ने बताया कि एक तो बच्चे की मौत हो गई है और उसका शव भी नहीं मिल रहा है।

इसी तरह ब्रहमपुरी के विनोद की भी हत्या कर दी गई। इनमें से किसी पर भी कोई पुराना मामला दर्ज नहीं था। हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों की भीड़ आई और मासूम लोगों की जान चली गई और पीछे रह गए रोते-बिलखते परिजन।