गाजियाबाद के स्कूल एक साल में बनेंगे दिल्ली से भी ज्यादा स्मार्ट, ये है प्लान

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गाजियाबाद के स्कूल भी दिल्ली की तर्ज पर विकसित होंगे। निगम की बोर्ड बैठक में पार्षदों की मांग पर नगर आयुक्त ने भरोसा दिया कि राज्य स्मार्ट मिशन योजना के तहत स्कूलों को दिल्ली के स्कूलों से भी अच्छा विकसित किया जाएगा। मौजूदा समय में स्कूलों की हालत बदहाल है। पर्याप्त शिक्षक और फर्नीचर तक की व्यवस्था नहीं है।

नगर निगम के पांच स्कूल हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में शिक्षा विभाग के 95 प्राथमिक विद्यालय हैं। इन स्कूलों में 25 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। 16 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें स्टाफ पूरा नहीं है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई पर कम ध्यान दिया जाता है। पर्याप्त शिक्षक के अलावा फर्नीचर,पुस्तकालय और कंप्यूटर लैब तक नहीं है। सोमवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में स्कूलों की बदहाली का मुद्दा उठा।

हालांकि कांग्रेस पार्षद गजेंद्री देवी ने नगर निगम के स्कूलों का ही मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि स्कूलों में सुविधाएं नहीं मिलने से बच्चों को परेशानी उठानी पड़ रही है। स्कूलों में साफ-सफाई का अभाव है। शिक्षकों की कमी से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते। पार्षद ने सदन में दिल्ली के स्कूलों का उदाहरण दिया। साथ ही कहा कि जब दिल्ली के स्कूलों को शानदार बनाया जा सकता है तो निगम के स्कूलों की बदहाली क्यों दूर नहीं की जा सकती।

महापौर आशा शर्मा ने कहा कि स्कूलों की हालत सुधारी जा रही है। नगर निगम के पांचों स्कूलों पर काम चल रहा है। नगर आयुक्त ने कहा कि शहर के सभी स्कूलों को दिल्ली से अच्छा विकसित किया जाएगा। स्कूलों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। एक साल के अंदर स्कूल स्मार्ट बना दिए जाएंगे। इसके लिए शिक्षा विभाग से प्रस्ताव मांग लिए गए हैं। राज्य स्मार्ट सिटी मिशन योजना में हर साल 50 करोड़ रुपये जारी होगा।

समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा

अपर नगर आयुक्त ने बताया कि नगर निगम द्वारा संचालित विद्यालयों के लिए कोई भी विद्यालय प्रबंधन समिति गठित नहीं है। नगर निगम विद्यालयों केस सभी प्रबंधन एवं रख-रखाव के उद्देश्य से एक अनुरक्षण समिति का गठन करने की मांग की। प्रबंधन समिति की संरक्षक महापौर, प्रशासक नगर आयुक्त, प्रबंधक अपर नगर आयुक्त (प्रथम), लेखाधिकारी कोषाध्यक्ष और सदस्य स्थानीय पार्षद को बनाया जाए।

अभी स्कूलों का ये हाल है

अधिकतर स्कूलों में बैठने के लिए फर्नीचर नहीं है। बच्चों के अनुपात के हिसाब से कमरे तक नहीं है। बिजली कनेक्शन नहीं होने से गर्मी में परेशानी झेलनी पड़ती है। लाइब्रेरी भी नहीं है। खेल मैदान नहीं होने से बच्चे खेल नहीं पाते।

स्कूल की इमारत जर्जर

कैला भट्टा और साहिबाबाद में नगर निगम के स्कूल हैं। दोनों ही स्कूलों की इमारत जर्जर है। ऐसे में बच्चों की जान पर हमेशा बनी रहती है। कैला भट्ठा में बच्चियां मुंह पर कपड़ा बांधकर स्कूल जाती हैं। बाहर कूड़ा डाल देते हैं।