गाजियाबाद: कविनगर पुलिस पर अवैध उगाही के चक्कर में एक शोरूम मैनेजर को 3 दिन तक हवालात में बंद रखने का आरोप लगा है। बाद में मामले के तूल पकड़ने और शिकायत के डर से पुलिस ने मैनेजर को रिहा कर दिया। इस दौरान 3 दिनों तक मैनेजर की 7 माह की गर्भवती पत्नी भी सुबह से देर रात तक थाने में ही बैठी रही। पीड़िता का आरोप है कि पति को छोड़ने के बदले उससे 50 हजार रुपये की मांग की जा रही थी।
पीड़ित आरडीसी स्थित गौर मॉल के एक शोरूम में मैनेजर है। वह मूल रूप से दिल्ली के मुनिरका के रहने वाले हैं और फिलहाल राजनगर में पत्नी के साथ किराए पर रह रहे हैं। शनिवार को एक महिला ग्राहक शोरूम में आई और अपना मोबाइल वहीं भूल गई। मैनेजर ने मोबाइल देखकर अपने पास रख लिया, जब महिला वापस आई तो उसे लौटा दिया। बताया जा रहा है कि मोबाइल लेकर बाहर गई महिला ने वहां खड़ी पीसीआर पर तैनात कर्मियों को पूरी बात बताई और मैनेजर पर मोबाइल चोरी का आरोप लगाया। हालांकि, महिला ने यह भी स्वीकार किया कि उसका मोबाइल वापस मिल गया है और उसने कोई लिखित तहरीर भी नहीं दी। मौखिक रूप से शिकायत करने के बाद महिला वहां से चली गई।
आरोप है कि पीसीआर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने मॉल में जाकर मैनेजर को पकड़ लिया और संबंधित पुलिस चौकी प्रभारी के हवाले कर दिया। चौकी प्रभारी ने मैनेजर को थाने ले जाकर हवालात में बंद कर दिया। पति की गिरफ्तारी के बारे में पता चलने पर पत्नी थाने पहुंची। महिला के अनुसार थाने पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने मौखिक शिकायत पर गिरफ्तारी की बात बताई। इस पर उसने पति को छोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस इनकार कर दिया। जिसके चलते महिला रातभर थाने के बाहर ही बैठी रही। रविवार को भी महिला ने पति को जेल भेजने या छोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
रात में 3 बजे तक वह थाने के बाहर ही बैठी रही। सोमवार सुबह महिला फिर से थाने पहुंची। महिला ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी उससे पति को छोड़ने के बदले 50 हजार रुपये की मांग कर रहे थे, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं हैं। महिला का आरोप है कि थाने में मौजूद पुलिसकर्मी मुकदमा दर्ज करने की धमकी दे रहे थे। महिला का कहना है कि सोमवार दोपहर चौकी प्रभारी थाने पहुंचे तो उन्होंने चौकी प्रभारी के पैर पकड़ लिए और पैसे न होने की बात कहते हुए पति को छोड़ने की मांग की। मामले के तूल पकड़ने और अधिकारियों से शिकायत के डर से उसके पति को छोड़ दिया गया।
इस मामले में इंस्पेक्टर कविनगर मोहम्मद असलम का कहना है कि शिकायतकर्ता की तहरीर के इंतजार में मैनेजर को हिरासत में रखा गया था। जब सोमवार दोपहर तक शिकायतकर्ता तहरीर देने नहीं आई, तो मैनेजर को रिहा कर दिया गया। इंस्पेक्टर ने 50 हजार रुपये मांगने की बात को गलत बताया है।