नहीं मिली पत्रकार सेमवाल को जमानत

Share

देहरादून। बीते शुक्रवार को थाना सहसपुर के एसओ द्वारा वेब पोर्टल के सम्पादक की उनके आवास से कल सुबह अनुचित रूप से की गई गिरफ्तारी को थाने में चलकर आये अभियुक्त के रूप में दिखाने के प्रकरण में आज जुडिशल मजिस्ट्रेट विकासनगर ने जमानत नहीं दी।

मालूूूम हो कि पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल व अमित पाल के विरुद्ध चोरखाला लक्ष्मीपुर निवासी नीरज राजपूत ने मुकदमा अपराध संख्या 414/2019 दर्ज कराया था। सहसपुर पुलिस के संदिग्ध व प्रीजुडिस रवैये के चलते ही उक्त गिरफ्तारी में नाटकीय रूप देखने को मिला क्योंकि सूत्रों व सेमवाल के अनुसार वह स्वयं थाने नहीं आया बल्कि एसओ ने बलपूर्वक बिना किसी वैधानिक सूचना/ वारंट के उन्हें गत दिवस सुबह 10 बजे करीब घर से गिरफ्तार किया और फिर थाने लाकर जबरन सीओ की मौजूदगी में बयानों हेतु बुलाबे के सफीने पर हस्ताक्षर करवा लिए एवं मनमर्जी से कुछ का कुछ दिखाकर थाने से ही गिरफ्तारी दिखा दी।

वहीँ पुलिस की इस गिरफ्तारी से पत्रकार जगत में रोष व्याप्त है। ऐसे में उक्त विवेचना अधिकारी/एसओ की भूमिका पर सवालिया निशान लग रहा है। बताया तो यह भी जा रहा है कि उक्त प्रकरण की आड़ में सरकार को खुश करने का खेल भी पीछे से खेल जा रहा है क्योंकि TSR व आला अफसरों के विरुद्ध पत्रकार सेमवाल द्वारा समय समय पर मामलों को उजागर कर समाचार प्रसारित व प्रकाशित किये जाते रहे हैं।

बताते चलें कि पत्रकारों के साथ दमनात्मक उत्पीड़न की इस कार्यवाही सहित अन्य मामलों में पहले भी राजधानी के कुछ चाटुकार अपने आपको प्रतिष्ठावान कहलाने बाले दैनिक समाचार पत्रों और तथाकथित गंगा गए गंगादास और जमुना गए जमनादास जैसे दोमुँहे पत्रकारों की भूमिका भी खासी देखने को मिल रही है। ऐसे लोग डिप्लोमेट की तरह ब्यूरोक्रेट्स के हाथों की कठपुतली बन कर TSR को खुश करने में तल्लीन दिखाई पड़ रहे हैं।

कुल मिलाकर इस देवभूमि में पत्रकारिता खतरे में है। कोई भी निर्भीक और वेवाक पत्रकार सुरक्षित नहीं है। ऐसी भी आशंका विद्दयमान है कि पुराने चर्चित उमेश शर्मा कांड की पुनरावृत्ति हो रही है!

अभी तक न तो सरकार और न ही पत्रकारों के किसी एक संगठन एवम एकजुटता का नारा देने बाले ठेकेदारों द्वारा पुलिस के इस अनुचित रवैये पर कोई प्रतिक्रिया व निष्पक्ष कार्यवाही की पहल अभी तक नहीं की गयी है।

पुलिस के आला अफसरों व जिले के बड़े कप्तान की चुप्पी भी इस प्रकरण में छिपे खेल की ओर इशारा कर रही है।
पत्रकार सेमवाल के परिजनों का यह भी कहना है कि वे न्याय पाने के अपना संघर्ष जारी रखेंगे तथा जिला सत्र न्यायधीश का दरवाजा खटखटाएंगे।