रामलीला में हुआ श्रवण कुमार नाटक, ताड़का वध का हुआ मंचन

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गाजियाबाद। श्री सुल्लामल रामलीला में बीती रात श्रीराम, सीता जन्म और रावण-वेदवती संवाद की लीला हुई। कलाकारों ने संवादों के माध्यम से दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़ी। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ समाजसेवी ज्ञान प्रकाश गोयल ने बताया कि सुल्लामल रामलीला समिति 121 साल पुरानी कमेटी है। इसके माध्यम से रामलीला का मंचन होता है। आज हमारी पीढ़ी जो पश्चिमी सभ्यता की तरफ जा रही है, उसे रामलीला के माध्यम से भगवान रामचंद्र जी के त्याग, बलिदान, पिता आदेश, भ्राता प्रेम आदि देखने और समझने का अवसर मिलेगा।

घण्टा घर रामलीला मैदान में श्रवण कुमार लीला का मार्मिक मंचन हुआ। श्रवण द्वारा अपने माता-पिता की सेवा करने का दृश्य भावपूर्ण रहा। दशरथ का तीर लगने पर श्रवण के प्राण चले गए। इसके पश्चात उनके बूढे़ माता-पिता और दशरथ के बीच हुए संवाद को देखकर दर्शक भावुक हो गए।
राम लीला में प्रभु राम ने ताड़का का वध भी किया। मालूम हो कि ताड़का सुकेतु यक्ष की पुत्री थी जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुंदर वन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी।

उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित अनेक ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस गण हमेशा बाधाएँ खड़ी करते थे। विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ सुंदर वन लाए। राम ने विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन ताड़का और सुबाहु दोनों का वध कर दिया। ताड़का का और वध के बाद ताड़का का और के पुतले का दहन भी किया गया।

लीला मंचन के समय नरेश अग्रवाल प्रधान अनाज मंडी, उस्ताद अशोक गोयल, वीरेंद्र कुमार वीरो, मनोज गोयल, राजेन्द्र मित्तल, संजीव मित्तल, दिनेश शर्मा बब्बे, अशोक कुमार शर्मा, अजय कालरा, अजय कांत भारद्वाज, सुनील गुप्ता, सुनील गोयल, अमरजीत (सह निर्देशक), देवेंद्र सिंधल देवी आदि उपस्थित रहे।