पंजाब यूनिवर्सिटी में महिला कर्मचारी ने किया 38 लाख का घोटाला, टर्मिनेशन के बाद जांच जारी!

Share

पंजाब यूनिवर्सिटी के वर्किंग वूमेन हॉस्टल में हुए 38 लाख रुपये के गबन के मामले में महिला कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है। डॉ. सुशील नैय्यर की देखरेख में हुई इस घटना में एक महिला क्लर्क ने, जिसने नवंबर 2020 में हॉस्टल में अपनी सेवा शुरू की थी, छात्रों की फीस और हॉस्टल रेंट की राशि अपने व्यक्तिगत खाते में जमा करवाई। इस गबन का मामला तब उजागर हुआ जब हॉस्टल की वार्डन ने 29 मई को डीन स्टूडेंट वेलफेयर को शिकायत दी, जिसमें बताया गया कि कुल 35 लाख रुपये का गबन हुआ है, जिसमें 5.33 लाख रुपये की राशि मेस के और लगभग 30 लाख रुपये हॉस्टल रेंट के अंतर्गत आती है।

जांच समिति का गठन रजिस्ट्रार द्वारा किया गया, जिसने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की। शुरुआती चरण में, नए नियुक्त क्लर्क नवरीत कौर को दोषी ठहराया गया और उसे नौकरी से निकाल दिया गया। उसके वेतन और अन्य लाभ भी रोक दिए गए हैं। अब तक केवल 97 हजार रुपए ही वसूल किए जा सके हैं, जबकि गबन की कुल राशि के संदर्भ में संभावित रूप से यह आंकड़ा 50 लाख रुपये तक पहुंच सकता है। जांच समिति ने पिछले तीन वर्षों के ऑडिट रिकॉर्ड की समीक्षा करने के लिए निर्देश दिए हैं ताकि पूरे मामले की तह तक पहुंचा जा सके।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अब विभागीय जांच जारी है और आशंका जताई जा रही है कि इस गबन में अन्य अधिकारियों की भी संलिप्तता हो सकती है। जांच के दौरान यह स्पष्ट किया गया है कि इतनी बड़ी राशि के गबन की सम्भावना एक ही व्यक्ति द्वारा नहीं की जा सकती। इस घटना से पहले भी पंजाब यूनिवर्सिटी में गबन के मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ वर्ष पूर्व पूजा बग्गा नामक महिला कर्मचारी द्वारा 2 करोड़ रुपये के गबन का मामला उजागर हुआ था। उस समय भी अन्य अधिकारियों की भूमिकाओं पर सवाल खड़े हुए थे, लेकिन कार्रवाई केवल संबंधित महिला कर्मचारी पर ही की गई थी।

पंजाब यूनिवर्सिटी ने गबन के इस मामले की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक जज को जांच अधिकारी नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इससे यह स्पष्ट होगा कि इस गबन में और कौन-कौन से लोग शामिल हैं। रजिस्ट्रार वर्किंग वूमेन हॉस्टल वार्डन अमृतपाल कौर ने बताया कि महिला कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया है और जांच प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। रजिस्ट्रार वाईपी वर्मा ने भी पुष्टि की कि मामले की विभागीय जांच चल रही है और गबन की राशि बढ़ने की संभावना है।

इस पूरे मामले ने विश्वविद्यालय के कामकाज में संदेह पैदा कर दिया है और यह दर्शाता है कि इस तरह के गबन की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।