शंभू बॉर्डर पर पहुंचेगा ‘फार्मर फाइटर’ रणजोध का शव, परिवार ने सरकार से नौकरी मांगी!

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शंभू बॉर्डर पर सल्फास निगलने वाले किसान रणजोध सिंह की दुखद मौत के बाद उनके परिवार और गांव वालों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। रतनहेड़ी के निवासी और रणजोध के चचेरे भाई कमलदीप सिंह ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। उन्होंने बताया कि रणजोध सिंह ने किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और वे दिल्ली मोर्चे के दौरान भी पूरी सक्षमता से शामिल होते थे। उनके इस त्याग और बलिदान को याद करते हुए परिवार ने पंजाब सरकार से नौकरी और आर्थिक सहायता की मांग की है। इसके साथ ही किसान जत्थेबंदियों से भी सहयोग की अपील की गई है।

कमलदीप ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों से पंजाब के किसान आंदोलन में गहरी निराशा और तनाव फैला हुआ है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू करें और मंडियों के निजीकरण पर रोक लगाएं। उनका कहना था कि लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन ने न केवल खेती में लगे लोगों का लेकिन युवाओं का भविष्य भी प्रभावित किया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि रणजोध सिंह के परिवार को एक सरकारी नौकरी और अन्य आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए, ताकि वे इस दु:ख के समय में सहारा पा सकें।

रतनहेड़ी के सरपंच अमरजीत सिंह ने भी रणजोध के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि जब उन्हें 14 दिसंबर को खबर मिली कि रणजोध ने सल्फास निगल लिया है, तो वे खुद पटियाला पहुंचे। वहां जानकारी मिली कि रणजोध ने बापू डल्लेवाल के संघर्ष को देख कर यह कदम उठाया। यह सुनकर पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। सरपंच ने सरकार से मांग की कि रणजोध के परिवार को एक सदस्य को नौकरी देने के साथ-साथ उनके ऊपर कर्ज का बोझ भी माफ किया जाए।

सरपंच ने बताया कि किसान जत्थेबंदियों की ओर से पहले रणजोध का शव शंभू बॉर्डर ले जाकर श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके बाद शव को गांव लाकर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। यह घटना केवल एक किसान की मौत नहीं, बल्कि किसान समुदाय की उस दुर्बलता और निराशा का प्रमाण है, जो देश में पिछले कुछ समय से चल रहे कृषि विवादों के संदर्भ में है। गांव वालों की एकजुटता इस कठिन समय में उनके परिवार के लिए सहारा देने की भावना को दर्शाती है।

इस घटना ने यह फिर से साबित किया है कि किसान आंदोलन का मुद्दा केवल खेतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। पंजाब सरकार और केंद्र को अब इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि किसान समुदाय को न्याय और राहत मिल सके।