चंडीगढ़ में पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने आज (18 दिसंबर) को केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया। उन्होंने राजभवन को घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन चंडीगढ़ पुलिस ने उन्हें कांग्रेस भवन के बाहर बैरिकेड लगाकर रोक दिया। जिससे आंदोलन की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस कार्रवाई के चलते कांग्रेस के प्रमुख नेता अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग सहित कई अन्य नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। कांग्रेस के नेताओं का आरोप था कि सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है और उनका लोकतांत्रिक अधिकार छीन रही है।
कांग्रेस द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन का मुख्य मुद्दा बिजनेसमैन गौतम अडानी से संबंधित था, जिसमें मणिपुर समेत कई अन्य मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। कांग्रेस भवन में पार्टी के कई दिग्गज नेता एकत्रित हुए, जहां उन्होंने एक साथ मिलकर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के नेतृत्व में सभी नेता राजभवन की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बाधाएं खड़ी की। इसके चलते कई नेताओं को हिरासत में लेकर थाने ले जाया गया, जहां उन्हें बसों में बैठाकर लाया गया।
इस दौरान, एनएसयूआई के अध्यक्ष इसरप्रीत ने किसान नेता डल्लेवाल के समर्थन में भी अपनी बात रखी। प्रदर्शन में कांग्रेस के सभी नेता एकजुट नजर आए। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, राणा केपी सिंह, कुलजीत सिंह नागरा, और रविंदर उत्तम राव दलवी जैसे कई जाने-माने चेहरे इस प्रदर्शन में शामिल हुए। इसके अलावा, कुलदीप सिंह वैद, हरमिंदर सिंह गिल, भगवंतपाल सिंह सच्चर, हरिंदरपाल हैरी मान, विजय शर्मा टिंकू तथा गुरशरण कौर भी इस आंदोलन का हिस्सा बने।
इस विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि पंजाब कांग्रेस अपने सिद्धांतों के प्रति कितनी गंभीर है और भाजपा सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। नेताओं ने एकजुट होकर अपनी बात को उठाया, जो कि दर्शाता है कि पार्टी के सदस्य एकजुट हैं और किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। इस प्रकार का आंदोलन न केवल भाजपा सरकार के खिलाफ है, बल्कि यह उन मुद्दों की भी ओर इंगित करता है जिन्हें कांग्रेस पार्टी गंभीरता से देख रही है।
इस विरोध प्रदर्शन ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप हो रहा है और क्या सरकार प्रदर्शनों को कुचलने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस पार्टी का यह कदम निश्चित रूप से निकट भविष्य में राजनीतिक तापमान को और बढ़ा सकता है, और देखने वाले मामलों पर ध्यान केंद्रित रहेगा कि आगे और क्या घटनाक्रम सामने आता है।