स्वाभिमान छोड़ना क्यों है जीवन में आवश्यक?

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**जालंधर: अन्नपूर्णा जयंती पर भागवत सप्ताह का आयोजन**

जालंधर के कोट किशन चंद स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में शनिवार को अन्नपूर्णा जयंती के अवसर पर भव्य भागवत सप्ताह का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर भक्तों ने धूमधाम से कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्वानों द्वारा विधि पूर्वक पूजा करके की गई। इस मौके पर आचार्य शिव कुमार शास्त्री ने कथा सुनाते हुए भक्तों को भगवान के जन्म और महिमा के बारे में बताया।

आचार्य ने कहा कि जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ, तब वासुदेव जी और देवकी ने भगवान की स्तुति की। जैसे ही भगवान बाल रूप में धरती पर प्रकट हुए, वासुदेव जी ने उन्हें अपने मित्र नन्द के घर छोड़ दिया। इसके बाद, उन्होंने महामाया रूपी कन्या को लेकर आए। जब कंस को इस कन्या के जन्म की खबर मिली, तो वह पहले उसे मारने में हिचकिचा रहा, लेकिन चाणूर और मुष्टिक के उकसाने पर उसने अपनी बुराई का परिचय दिया। आचार्य ने सख्त शब्दों में कहा कि कन्या को मारना महापाप है और जो लोग कन्या भ्रूण हत्या करते हैं, उन्हें इस पर सोचना चाहिए कि वे कितने महापापी हैं।

कथा के दौरान, आचार्य ने यह भी बताया कि ईश्वर स्वयं हर कार्य का निमित्त और उपादान है। मनुष्य अक्सर अपने अहंकार में खुद को कर्ता मान लेता है, जबकि सच यह है कि सब कुछ भगवान की कृपा से ही संभव होता है। उन्होंने सभी भक्तों से अपील की कि वे अपने अहंकार को त्यागें और भगवान की महिमा को समझें।

कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद सभी भक्तों ने देवी-देवताओं की भव्य आरती का आयोजन किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान डॉ. अनिल ज्योति, प्रवीण महाजन, राजेश शर्मा, विपन उप्पल, डॉ. राजेश ज्योति, राकेश वैद, अश्विनी हांडा, प्रदीप शर्मा, हितेंद्र कपूर, हरपाल सिंह, लक्की कपिला, ईश चोपड़ा, जितेंद्र शर्मा, दीपक ज्योति, पं. विष्णु प्रसाद जोशी, प्रवीण ज्योति, श्रद्धा कालिया, दर्शना रानी समेत अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

इस तरह के कार्यक्रम न केवल धार्मिक आस्था को प्रगाढ़ करते हैं, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाते हैं। अन्नपूर्णा जयंती का यह आयोजक भक्तों के लिए एक अध्यात्मिक अमृत सुराग जैसा था, जिसमें उन्होंने भगवान की अनंत कृपा और दया का अनुभव किया। भक्तों ने इस विशेष दिन को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए भगवान से आशीर्वाद प्राप्त किया।