लुधियाना में निकाय चुनाव का बड़ा झटका: 19 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द, आज है फाइल वापस लेने की अंतिम तारीख!

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पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को होने वाले नगर निगम चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और उम्मीदवारों ने 12 दिसंबर तक नामांकन पत्र दाखिल कर दिए हैं। चुनाव आयोग ने हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल 19 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 4, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के 3 और कांग्रेस का 1 उम्मीदवार शामिल है। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि आज है, और अब कुल 663 उम्मीदवार चुनावी मैदान में बने हुए हैं।

जब नामांकनों की जांच की गई, तब कुछ कागजात में कमियों के कारण उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए गए। भाजपा के वार्ड संख्या 5, 32, 45 और 85 से संबंधित उम्मीदवारों के नामांकन को रद्द किया गया है। इसके अलावा, शिअद के वार्ड संख्या 12, 17 और 24 के नामांकन भी अस्वीकृत कर दिए गए हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार, अनमोल दत्त, जो वार्ड संख्या 34 से थे, का नामांकन भी इसी प्रकार की कागजात की कमी के कारण खारिज कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि अनमोल दत्त के भाई ने कवरिंग उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था, जिसे सही पाया गया।

इस बार चुनाव आयोग ने निकाय चुनावों में होने वाले खर्च की सीमा भी निर्धारित की है। नगर निगम के चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवार के लिए खर्च की सीमा 4 लाख रुपये निर्धारित की गई है। नगर परिषद वर्ग 1 के लिए यह सीमा 3 लाख 60 हजार रुपये, जबकि वर्ग 2 के लिए 2 लाख 30 हजार रुपये और वर्ग 3 के लिए 2 लाख रुपये तय की गई है। सभी उम्मीदवारों को चुनाव समाप्ति के 30 दिनों के भीतर अपने चुनावी खर्च का विवरण देना होगा।

एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि प्रत्येक नगर निगम में एक सामान्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा, जो चुनावी प्रक्रिया की निगरानी करेगा। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हों।

इन चुनावों के मद्देनजर सभी दलों ने अपनी रणनीतियाँ तैयार की हैं और अब चुनावी प्रचार में जुट गए हैं। राजनीतिक दलों के बीच इस चुनाव को लेकर जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि लुधियाना का यह नगर निगम चुनाव केवल स्थानीय मुद्दों का नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के भविष्य का भी प्रश्न बन गया है। सभी की नज़र इस बात पर है कि कौन से उम्मीदवार किस मुद्दे पर जनता के बीच जाते हैं और किस प्रकार मतदाताओं का समर्थन जुटा पाते हैं।