हरियाणा-पंजाब सीमा पर खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बेहद गंभीर पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने खून से हस्ताक्षर किए हैं। इस पत्र में उन्होंने सरकार से मांग की है कि या तो वर्ष 2011 में किए गए वादों को पूरा किया जाए, या फिर उनकी कुर्बानी के लिए तैयार रहें। डल्लेवाल ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी जान जाती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। इस बीच, डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति भी गंभीर बताई जा रही है, और उन्हें चिकित्सा सहायता मुहैया कराने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में वकील वासु रंजन शांडिल्य ने कोर्ट से आग्रह किया है कि डल्लेवाल को आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। न केवल यह, बल्कि याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि मामले की सुनवाई जल्द से जल्द हो। डल्लेवाल पिछले 17 दिनों से मरणव्रत पर हैं, जिसके कारण उनकी स्थिति गंभीर होती जा रही है। उनके निजी डॉक्टरों ने चिंता जताई है कि उनका वजन 12 किलो से अधिक घट चुका है और किडनी फेल होने का खतरा मंडरा रहा है।
डल्लेवाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि यह आंदोलन 13 फरवरी से जारी है, और यदि सरकार इस पर ध्यान नहीं देती, तो उन्होंने 26 तारीख से मरणव्रत का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि उनकी यह लड़ाई सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करवाने की है। डल्लेवाल ने कहा कि यह उनका पहला और अंतिम पत्र है, और यदि उनकी जान चली गई, तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने डल्लेवाल के समर्थन में आह्वान किया है कि लोग अपने घरों में शाम का खाना न बनाएं और सोशल मीडिया पर साझा करें। इतना ही नहीं, किसानों के बीच चर्चा हो रही है कि क्यों न 13 दिसंबर को केंद्र और राज्य सरकारों के पुतले जलाए जाएँ, क्योंकि उन्हें लगता है कि किसानों के मुद्दों पर कोई भी राजनीतिक पार्टी गंभीर नहीं है।
इस बीच, जानकारी मिली है कि सरकार डल्लेवाल को हिरासत में लेने की योजना बना सकती है, इसीलिए किसानों ने उनकी सुरक्षा बढ़ा दी है। उच्च राजनीतिक स्तर पर भी बातचीत के प्रयास जारी हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने भी कहा है कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं। हालाँकि, किसान नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि वे भी किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार हैं।
इसके अतिरिक्त, शंभू बॉर्डर पर किसानों के प्रति अडिग रहने की कोशिशों ने कई बार पुलिस बल को सामना करना पड़ा है, जहां किसानों द्वारा बैरिकेड तोड़ने की कोशिशों में कई बार आंसू गैस के गोले भी दागे गए हैं। किसानों का कहना है कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे और किसी भी स्थिति में पीठ नहीं दिखाएंगे। इस संघर्ष का मूल कारण उस टीम को लेकर है जो किसान नेताओं के साथ मीटिंग करने के लिए आई थी, लेकिन किसानों की अनुपस्थिति ने बातचीत के रास्ते को कठिन बना दिया है।