अमृतसर के सुखबीर सिंह बादल पर हुए हमले की असफल कोशिश के बाद शिरोमणि अकाली दल ने चंडीगढ़ में कोर कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। बैठक में सुखबीर बादल पर हुए हमले को लेकर चिंता व्यक्त की गई और इसे एक बड़ी साजिश का परिणाम बताया गया। कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ ने पंजाब सरकार और पुलिस द्वारा की जा रही जांच को सिद्धांत के विपरीत बताते हुए नकार दिया। उनके अनुसार, इस हमले के पीछे सरकार की कोई गुप्त योजना हो सकती है, जिसमें आम आदमी पार्टी भी शामिल हो सकती है। सुखबीर बादल, जो श्री अकाल तख्त साहिब के निर्देश पर गोल्डन टेम्पल के गेट पर उपस्थित थे, के खिलाफ यह हमला शिरोमणि अकाली दल के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बैठक में कहा कि इस प्रकार के हमले पंजाब को उसके पुराने और अप्रिय दौर में लौटाने का प्रयास हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुखबीर बादल पर हमला न केवल एक व्यक्तिगत हमले के रूप में देखा जाना चाहिए, बल्कि यह पूरे सिख समुदाय और पंजाब की शांति और सुरक्षा पर खतरा है। इस संदर्भ में, श्री अकाल तख्त साहिब ने भी इस हमले की निंदा की है और इसके पीछे के कारणों की विस्तृत जांच की आवश्यकता जताई है।
बैठक से पहले बिक्रम मजीठिया ने अमृतसर के एसपी हरपाल चीमा पर सवाल उठाए, जबकि एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 9 दिसंबर को अमृतसर में एक महत्वपूर्ण बैठक की योजना बनाई है। वहीं, डॉ. चीमा ने यह भी घोषणा की है कि अकाली दल आगामी नगर निगम चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारेगा, जो पूर्व में उप-चुनावों में ना लड़ने के निर्णय के विपरीत है।
अकाली दल की यह बैठक श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों के पालन में हो रही है, जिसमें नए नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 2 दिसंबर को हुई एक बैठक में अकाली दल को चेतावनी दी गई थी कि अगर इन्हें सुधार नहीं किया गया तो पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया जाएगा। सुखबीर बादल को 10 दिनों तक 5 गुरुद्वारों में सेवा करनी है, जिसमें से उनकी सुरक्षा को लेकर अत्यधिक चिंता है, क्योंकि अमृतसर में उनका पहले से ही हमला हो चुका है।
इस बैठक में शिरोमणि अकाली दल की आंतरिक स्थिति को लेकर भी चर्चा की जाएगी, क्योंकि सुखबीर बादल का पद से इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है। वरिष्ठ नेताओं के बीच की आंतरिक तकरार और विचारधाराओं के मतभेदों को सुलझाना भी इस बैठक का एक प्रमुख उद्देश्य होगा। सारांश यह है कि अकाली दल को अपने संगठनात्मक ढांचे में नई ऊर्जा जोड़ने और दागी तथा बागी पक्षों को एकजुट करने की आवश्यकता है, ताकि वे मिलकर पार्टी को फिर से मजबूत बना सकें।