पंजाब सरकार ने किसानों को धोखाधड़ी से बचाने और डीएपी (डायअमोनियम फॉस्फेट) जैसे उर्वरकों की कालाबाजारी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। राज्य में इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए, पांच फ्लाइंग टीमों का गठन किया गया है, जो अवैध भंडारण, कालाबाजारी और अन्य रासायनिक खादों के साथ गलत टैगिंग की गतिविधियों पर निगरानी रखेंगी। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह पहल किसानों को सुरक्षित खाद प्राप्त कराने और बाजार में अनुशासन स्थापित करने के लिए है।
कृषि मंत्री ने आगे बताया कि पिछले कुछ समय में गलत ब्रांडिंग करने वाले 91 कंपनियों के लाइसेंसों को रद्द किया गया है। इसके अतिरिक्त, 3 कंपनियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज की गई हैं। कृषि विभाग ने 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर 2024 के बीच कुल 3954 नमूने इकट्ठा किए, जिनमें से 2063 कीटनाशक, 1751 रासायनिक उर्वरक, 100 बायो खाद और 40 जैविक खाद के थे। जांच के परिणामों के आधार पर, 43 फार्मों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कितनी गंभीर है।
सरकार ने किसानों की मदद के लिए दो शिकायत निवारण नंबर जारी किए हैं। किसान 1100 पर कॉल करके या +91-98555-01076 पर वॉट्सऐप संदेश भेजकर अपनी समस्याएं दर्ज करा सकते हैं। यह कदम किसानों को कीटनाशक और डीएपी डीलरों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए उठाया गया है। मंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि खादों के साथ अनावश्यक रसायनों को जोड़कर बेचना अथवा खाद की अधिक कीमत पर बिक्री करना अवैध है, और इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर 1985 और आवश्यक वस्तुएं अधिनियम 1955 की धाराओं के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को सही और गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध हों, सरकार द्वारा यह सभी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की गलत गतिविधियों के बारे में तत्परता से सूचित करें, ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके और उन्हें ठगने वाले व्यापारियों से सुरक्षा मिल सके।
इस कदम के माध्यम से पंजाब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए कठोर उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे न केवल किसान आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि कृषि क्षेत्र की पारदर्शिता भी बढ़ेगी। सरकार की यह पहल बाजार में अनुशासन लाने और किसानों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।