चंडीगढ़ में यूटी प्रशासन ने हरियाणा और पंजाब राजभवन के कर्मचारियों के लिए बेहद सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध करवाने की योजना बनाई है। इन आवासों का मासिक किराया केवल 150 से 200 रुपये निर्धारित किया गया है, जो कि वर्तमान समय में निजी आवासों के किराए की तुलना में बहुत कम है। इस योजना के अंतर्गत यूटी प्रशासन न केवल आवास मुहैया करा रहा है, बल्कि इनकी देखभाल और रखरखाव का कार्य भी कर रहा है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा राजभवन को 99 तथा पंजाब राजभवन को 136 आवास आवंटित किए गए हैं।
हरियाणा राजभवन अपनी आवास योजना के तहत प्रति घर औसतन 156.08 रुपये का किराया चुका रहा है, जबकि पंजाब में यह औसत 183.58 रुपये है। हरियाणा के आवासों की श्रेणी में टाइप-VIII से लेकर टाइप-XIII तक के मकान शामिल हैं, जिनके लिए कुल मिलाकर 15,452 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जा रहा है। इस प्रकार, हर घर के लिए लाइसेंस शुल्क 103 से 406 रुपये की सीमा में निर्धारित किया गया है। वहीं, पंजाब राजभवन के लिए 110 आवासों के लिए कुल 20,194 रुपये का खर्च आता है।
हालांकि, यूटी प्रशासन के लिए इस योजना का संचालन एक चुनौती बनता जा रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता आरके गर्ग ने इस मामले पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इन आवासों के रखरखाव और मरम्मत का कार्य प्रशासन द्वारा किया जा रहा है, जिससे प्रशासन के बजट पर दवाब बढ़ रहा है। उन्होंने प्रशासन को सलाह दी है कि उसे इन आवासों के रखरखाव पर हो रहे खर्च और प्राप्त राजस्व का सही आकलन करना चाहिए।
इस संदर्भ में, अगर यूटी प्रशासन इस खर्च का सही प्रबंधन नहीं कर पाता है, तो इसके दीर्घकालिक परिणाम समस्या पैदा कर सकते हैं। आगे चलकर, यह आवश्यक हो सकता है कि प्रशासन को इन आवासों के किराए में बढ़ोतरी के बारे में सोचना पड़े या फिर इसे प्रभावी रूप से प्रबंधित करने के लिए अन्य दिशा-निर्देश विकसित करने की जरूरत पड़ सकती है।
इस योजना के सकारात्मक पहलू यह हैं कि सरकारी कर्मचारियों को किफायती आवास मिल रहा है, जिससे उन्हें अपने कार्यस्थल के निकट रहने में मदद मिलेगी। वहीं, यूटी प्रशासन को इस दिशा में दीर्घकालिक समाधान के लिए सही रणनीतियां विकसित करने की आवश्यकता होगी ताकि इन आवासों का रखरखाव भी सुचारु रूप से होता रहे और बजट पर अधिक बोझ न पड़े।