पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के ओएसडी राजबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ चंडीगढ़ की अदालत में मानहानि का मामला दायर किया है। राजबीर सिंह का आरोप है कि मजीठिया के दिए गए बयानों ने उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया है। इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब मजीठिया ने 6 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए सीएम के करीबी लोगों के सीएमओ से हटाए जाने का ज़िक्र किया और राजबीर सिंह का नाम लेते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए।
मजीठिया ने अपने बयान में राजबीर सिंह के परिवार के कनाडा के नागरिक होने का जिक्र किया और यह भी कहा कि हवाले के जरिए लाखों रुपये कनाडा और ऑस्ट्रेलिया भेजे गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि राजबीर Singh का लुक आउट नोटिस जारी किया जाए क्योंकि उनके अनुसार, वे विदेश भाग सकते हैं। मजीठिया ने अपने इस बयान को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किया, जिससे मामला और गरमाया।
राजबीर सिंह ने मजीठिया को पहले लीगल नोटिस भेजकर माफ़ी मांगने का आग्रह किया था, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि मजीठिया के बयान झूठे और उनकी छवि को प्रदूषित करने वाले हैं। उन्होंने 48 घंटे के भीतर लिखित माफ़ी की मांग की थी, लेकिन मजीठिया ने इस मांग का कोई सम्मान नहीं किया। इस स्थिति में, राजबीर सिंह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और मानहानि का केस दाखिल किया।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक तत्काल अंतरिम आदेश जारी किया है, जिसमें मजीठिया को सभी सार्वजनिक मंचों पर राजबीर सिंह के खिलाफ बयान देने से प्रतिबंधित किया गया है। यह आदेश राजबीर सिंह की व्यक्तिगत और पेशेवर छवि की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस तरह के कानूनी विवाद राजनीतिक जगत में अक्सर देखने को मिलते हैं, जहाँ आरोप-प्रत्यारोप का क्रम चलता रहता है।
इस पूरे मामले ने पंजाब की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। मजीठिया के सामने आने वाले आरोपों और राजबीर सिंह के कदम ने राजनीतिक संघर्ष को और बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले का आगे क्या परिणाम निकलता है और क्या मजीठिया अपनी बातों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश कर पाते हैं, या फिर उन पर लगे आरोप सिद्ध होते हैं। पंजाब की राजनीति में चले आ रहे इस विवाद ने एक बार फिर से सियासी तापमान को बढ़ा दिया है।