लाडोवाल टोल प्लाजा कल से मुफ्त: मुलाजिम एसोसिएशन की धमाकेदार घोषणा

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पंजाब के लाडोवाल टोल प्लाजा की स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव आने वाला है। कल (शुक्रवार) से यह टोल प्लाजा वापस से बिना शुल्क के खुलने जा रहा है, जिसका मतलब है कि जो भी वाहन चालक वहां से गुजरेंगे, उन्हें टोल शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। यह निर्णय टोल प्लाजा वर्कर्स यूनियन पंजाब की एक हालिया बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता पंजाब प्रधान दर्शन सिंह लाडी ने की। इस कदम का कारण उन कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों के प्रति अनदेखी है, जो उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाई है।

दर्शन सिंह लाडी ने बैठक के दौरान यह स्पष्ट किया कि बीते कई महीनों से कंपनी के अधिकारी उनके साथ बैठकों का आयोजन कर रहे थे, ताकि उनके मुद्दों का समाधान किया जा सके, लेकिन दुर्भाग्यवश अभी तक इन मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे नाराज होकर वर्कर्स यूनियन ने निर्णय लिया है कि 27 सितंबर से लाडोवाल टोल प्लाजा को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया जाएगा। इस दौरान टोल वसूली बिल्कुल नहीं की जाएगी, ताकि अपनी बात को मजबूती से रखा जा सके।

ब्लैकआउट का कारण केवल वित्तीय मुद्दे नहीं हैं। दर्शन सिंह ने बताया कि टोल प्लाजा के कर्मचारियों को न तो कोई सरकारी छुट्टी दी जा रही है और न ही उनके प्रॉविडेंट फंड में कोई कटौती हो रही है। इसके अलावा, कंपनी की ओर से कर्मचारियों को ई.एस.आई. (कर्मचारी राज्य बीमा) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की कोई सुविधाएं नहीं दी जा रहीं। यह स्थिति सुरक्षित रोजगार और कर्मचारियों के अधिकारों के हनन का एक स्पष्ट उदाहरण है।

इसके अलावा, यूनियन के वर्कर्स का मानना है कि अगर इन मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो वे आगे की कार्रवाई करने के लिए भी मजबूर हो सकते हैं। उनके इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि शायद कंपनी अब अपनी स्थिति पर विचार करेगी और वर्कर्स की मांगों का सम्मान करेगी। इससे न केवल कर्मचारियों के लिए लाभ होगा, बल्कि लंबे समय तक चल रही समस्याओं का समाधान निकालने में भी मदद मिलेगी।

इस प्रकार, लाडोवाल टोल प्लाजा का फ्री होना केवल टोल वर्कर्स के अधिकारों की लड़ाई ही नहीं है, बल्कि यह पंजाब के अन्य टोल प्लाजाओं के लिए भी एक उदाहरण पेश करता है कि कैसे श्रमिकों को अपनी शक्ति और अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए। यह स्थिति न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे पंजाब में टोल प्लाजा की प्रबंधन नीतियों पर विचार करने का एक अवसर प्रदान करती है। अंत में, यह मुद्दा हर किसी के लिए इस बात का सबूत है कि किस प्रकार श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी करने पर उन्हें अपनी मांगों के लिए आवाज उठानी पड़ती है।