हरियाणा के अंबाला जिले के एक युवक की दुखद मौत की घटना हाल ही में सामने आई है। 41 वर्षीय उधम सिंह, जो लगभग पांच साल पहले अपने बेहतर भविष्य की तलाश में दुबई गए थे, की मृत्यु जुलाई महीने में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। इस घटना की जानकारी उसके परिजनों को दो महीने बाद मिली, जब उसका पार्थिव शव अमृतसर के श्री गुरु राम दास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा। वहीं, उसके पिता कृपाल सिंह ने अपने बेटे के शव को भावुकता के साथ रिसीव किया।
डॉ. एसपी सिंह ओबरॉय ने बताया कि उधम सिंह का शव लावारिस हालत में मिला था, जिसके चलते भारतीय दूतावास ने उनके परिवार से संपर्क किया। पहचान पत्र के अभाव में उधम सिंह की पहचान उसके अंगूठे के स्कैन के जरिए की गई। डॉ. ओबरॉय ने सरबत का भला ट्रस्ट की हरियाणा इकाई के सदस्य लखविंदर पाल सिंह गरेवाल के माध्यम से मृतक के परिजनों को इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से अवगत कराया।
उधम सिंह की पत्नी और दो जुड़वा बेटियों के लिए एक मासिक पेंशन योजना की शुरुआत की गई है। डॉ. ओबरॉय ने कहा कि उन्होंने अपनी टीम के सहयोग से उधम सिंह के शव को भारत लाने के लिए आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी की और इसके लिए आया खर्च भी खुद उठाया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा इस खर्च की वसूली कुछ समय बाद होगी।
इस मौके पर ट्रस्ट की अमृतसर टीम ने भी परिवार के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की। पंजाब अध्यक्ष सुखजिंदर सिंह हेर एवं अन्य सदस्यों ने बताया कि डॉ. ओबरॉय के प्रयासों के चलते अब तक लगभग 375 लोगों के पार्थिव शव उनके परिजनों तक पहुंचाए जा चुके हैं। उधम सिंह के पिता कृपाल सिंह और उनके दोस्त गुरप्रीत सिंह ने डॉ. ओबरॉय का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके प्रयासों के कारण ही परिवार को अंतिम दर्शन का मौका मिला। इससे पहले, उन्हें अपने बेटे से संपर्क नहीं हो पा रहा था और उनकी चिंता बढ़ गई थी।
यह घटना न केवल उधम सिंह के परिवार के लिए एक दुखद अध्याय है, बल्कि यह एक ऐसी सच्चाई भी सामने लाती है जो प्रवासियों के साथ होती है। कई लोग बेहतर अवसरों की खोज में विदेशों की ओर जाते हैं, लेकिन अनहोनियों का सामना भी करते हैं। इस तरह की घटनाएं समाज के सभी पहलुओं में संवेदनशीलता की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।