जालंधर की विवाहिता का सुसाइड: पति के अत्याचारों से तंग आकर उठाया कदम!

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जालंधर में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक महिला ने अपने जीवन की अंतिम सांसें लेने का निर्णय लिया। मृतका की पहचान ममता के रूप में हुई है, जो सैंदा गेट की निवासी थी और एक प्रमुख ज्वेलर के पास नौकरी करती थी। परिवार वालों का आरोप है कि ममता अपने पति की समस्याओं के कारण काफी तनाव में थी, जिसका नतीजा यह दुखद घटना बनी। पुलिस ने ममता के शव को अपने कब्जे में लेकर सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है, और परिजनों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है।

ममता की शादी लगभग सात साल पहले हुई थी और उनके परिवार में एक छह साल की बेटी भी है। ममता के माता-पिता, किरण और संजय सिंह, ने आरोप लगाया है कि ममता का पति लंबे समय से बेरोजगार था और नशे की आदत में ग्रसित था। इसके कारण, पति अपनी पत्नी से उसकी कमाई छीने लेता था, जिससे ममता मानसिक रूप से परेशान रहती थी। यह उनके लिए सहन करना कठिन होता जा रहा था, और परिवार का मानना है कि इसी वजह से ममता ने आत्महत्या का कदम उठाया।

इस घटना के बारे में चर्चा करते हुए, ममता के माता-पिता ने बताया कि उन्हें देर रात उनकी बहुआ मां से फोन आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि ममता ने कुछ कर लिया है। जब वे मौके पर पहुंचे, तो देखा कि उनकी बेटी का शव पंखे से लटका हुआ था। इस दर्दभरी स्थिति को देखकर परिजन दंग रह गए और उन्होंने तुरंत पुलिस से मदद मांगी। ममता के परिवार ने इस मामले की पूरी जांच की मांग की है, ताकि सचाई के चेहरे से पर्दा उठ सके और ममता के पति को सजा मिल सके।

इस घटना ने समाज में घरेलू हिंसा और मानसिक तनाव के मुद्दे को एक बार फिर उजागर किया है। बहुत से लोग, खासकर महिलाएं, अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग नहीं होते और समाज द्वारा मिलने वाले दबाव से जूझते हैं। ममता की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें अपने आस-पास के लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है, ताकि हम उनकी मदद कर सकें। इस त्रासदी से यह स्पष्ट होता है कि परिवार और समाज को एकजुट होकर समस्या के समाधान के लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

पुलिस प्रशासन ने मामलों की गंभीरता को देखते हुए उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। अब यह देखना बाकी है कि न्याय व्यवस्था में इस मामले को किस प्रकार से सुना जाएगा और ममता के परिवार को क्या न्याय प्राप्त होगा। इस घटना ने न केवल ममता के परिवार को बल्कि पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि हमें एक-दूसरे के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण कैसे होना चाहिए।