फाजिल्का के नवा सलेमशाह गांव के मनरेगा मजदूरों ने बडी तादाद में फाजिल्का के बीडीपीओ कार्यालय के सामने धरना प्रस्तुत किया। मजदूरों का आरोप है कि बीते पांच वर्षों में उनके गांव के अधिकांश श्रमिकों को मनरेगा के तहत कोई भी कार्य नहीं दिया गया, जिससे उनकी आजीविका पूरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदर्शनकारी मजदूरों ने स्पष्ट बताया कि वे बार-बार काम की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उन्हें हर बार निराशा ही हाथ लगी है।
सोमवार, 25 सितंबर 2024 को जब उन्होंने काम के लिए बीडीपीओ कार्यालय का रूख किया तो वहां उन्हें काम देने के बजाय वापस लौटने को कहा गया। उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर लगभग पांच साल के बाद उनके गांव के 280 श्रमिकों का मस्टरोल जारी किया गया था, जिससे उन्हें एक उम्मीद बंधी थी। लेकिन जब ये श्रमिक कार्य के लिए पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि इनमें से केवल 20 को ही काम दिया जाएगा। इस अन्याय के खिलाफ मजदूरों ने मोर्चा खोला है।
प्रदर्शनकारियों ने फाजिल्का में नरेगा कार्यालय के बाहर अपना प्रतिनिधित्व किया और बीडीपीओ कार्यालय की ओर जाने वाली राह को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया। उन्होंने कार्यालय के गेट को भी बंद कर दिया, जिससे वहां उपस्थित अधिकारियों के लिए काम करना मुश्किल हो गया। मजदूरों का एक ही उद्देश्य है – उन्हें न्याय मिले और उनके वाजिब श्रम के लिए काम दिया जाए।
इस दौरान नरेगा अधिकारियों के खिलाफ मजदूरों ने जबरदस्त नारेबाजी की। उनका कहना है कि यह उनका अधिकार है कि उन्हें काम मिले और केवल कुछ लोगों को रोजगार देकर बाकी श्रमिकों के साथ अन्याय नहीं किया जाना चाहिए। अगर उनके मांगों पर अंकुश नहीं लगाया जाता है, तो वे अपनी आवाज को और भी ऊँचा उठाने का ऐलान कर चुके हैं।
मजदूरों की यह स्थिति केवल उनके गांव का ना होकर पूरे प्रदेश के उस यथार्थ को दर्शाती है, जहां मनरेगा योजना के अंतर्गत काम करने वाले लाखों श्रमिक, रोजगार के अभाव में मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं। ऐसे में समय आ गया है कि सरकार इन परेशानियों को गंभीरता से ले और इस योजना के तहत काम दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए।