शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का एक प्रतिनिधिमंडल आज मेघालय सरकार के मुख्य सचिव, डोनाल्ड फिलिप्स वाहलांग से मुलाकात करने के लिए शिलांग पहुंचा। इस दौरान उन्होंने शिलांग की पंजाबी कॉलोनी में स्थित 200 वर्षीय गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार के विध्वंस को तत्काल रोकने की मांग की। यह कदम मेघालय सरकार की एक उच्चस्तरीय समिति द्वारा बड़े बाजार में स्थित गुरुद्वारा सहिब और अन्य धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने की सिफारिश के चलते उठाया गया है, जिसके बाद सिख समुदाय में व्यापक असंतोष देखा जा रहा है।
गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार के अध्यक्ष गुरजीत सिंह ने शिरोमणि समिति और श्री अकाल तख्त साहिब सचिवालय से संपर्क कर बताया कि इस प्रस्तावित विध्वंस के खिलाफ वे सक्रिय हैं। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि पंजाबी कॉलोनी क्षेत्र में गुरुद्वारा की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी एवं उनके अन्य सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर मेघालय सरकार से बात करने के लिए शिलांग पहुंचे।
शिरोमणि कमेटी के महासचिव भाई राजिंदर सिंह मेहता ने जानकारी दी कि मुख्य सचिव को स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आश्वासन दिया है कि सिख समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हुए चल रही कार्रवाई को तुरंत रोका जाएगा। उनका यह कहना था कि इस प्रकार के निर्णय सभी धर्मों और समुदायों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करना सरकार का मूल कर्तव्य है।
प्रो. जगमोहन सिंह, जो सेव शिलांग सिख संस्था के संयोजक हैं, ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिलांग में पंजाबी लेन में रहने वाले सिख परिवारों के लिए आवासीय अधिकारों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में सरकार को निश्चित कदम उठाने चाहिए ताकि सिख परिवारों को किसी भी प्रकार के अन्याय का सामना न करना पड़े।
हालात पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि यह मुद्दा न केवल एक धार्मिक स्थल के विध्वंस से संबंधित है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण समुदाय की पहचान और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा हुआ है। ऐसे में मेघालय सरकार की भूमिका और उसके द्वारा लिए गए कदम इस समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनते हैं। सभी पक्षों को इस ममले में आपसी सहमति के तहत किसी संतोषजनक समाधान की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।