पंजाब यूनिवर्सिटी विवाद: AAP सरकार का रिपोर्ट आदेश, छात्राओं ने उत्पीड़न के लगाए आरोप!

Share

पंजाब के पटियाला में स्थित राजीव गांधी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (RGNUL) में पिछले कुछ दिनों से वाइस चांसलर (वीसी) और छात्राओं के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। विवाद की शुरुआत रविवार को हुई, जब वाइस चांसलर ने बिना नोटिस के गर्ल्स हॉस्टल की औचक चेकिंग की। छात्राओं का कहना है कि इस चेकिंग के दौरान उनके साथ कोई महिला स्टाफ नहीं था, और वीसी ने उनके पहनावे को लेकर अपमानजनक टिप्पणियाँ की। दूसरी ओर, वीसी का दावा है कि उन्हें कुछ छात्राओं से शिकायतें मिली थीं कि हॉस्टल में रात के समय शराब और सिगरेट का सेवन किया जा रहा था। इस विवाद के बाद पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने कार्रवाई करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार से रिपोर्ट मांगी है।

पंजाब महिला आयोग की चेयरपर्सन राज लाली गिल ने भी इस मामले में कार्रवाई की है और यूनिवर्सिटी का दौरा किया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने छात्राओं की शिकायतें सुनी हैं और जल्दी ही इस मुद्दे का समाधान किया जाएगा। हालांकि, छात्रों ने वीसी के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी रखा है। इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और वकील करुणा नंदी ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, यह शर्मनाक है कि एक विधि विश्वविद्यालय के कुलपति को छात्रों के निजता के संवैधानिक अधिकार का ज्ञान नहीं है।

शिक्षा मंत्रालय के तहत चल रही इस पीड़ादायक स्थिति में छात्रों की ओर से किए गए प्रदर्शन का दौर भी जारी रहा। छात्राओं ने वीसी के निवास के बाहर ‘नॉट यूअर डॉटर’ के पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन किया। उनके अनुसार, वीसी की अनैतिकताओं का यह मामला केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि एक संस्थान की गरिमा से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने इस स्थिति को अपने अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए पूरा मामला मीडिया के सामने प्रस्तुत किया। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस दौरान एक 9 सदस्यीय जांच समिति गठित की, लेकिन छात्राओं ने इस समिति के समक्ष बयान देने से इनकार कर दिया।

वाइस चांसलर ने हाल ही में कहा कि उनका उद्देश्य विद्यार्थियों की भलाई के लिए काम करना है, जबकि छात्राओं का मानना है कि उनकी निजता का उल्लंघन किया गया। वीसी ने स्पष्ट किया कि उन्हें छात्राओं से मिली शिकायतों के आधार पर हॉस्टल की चेकिंग करनी पड़ी थी, जबकि छात्राओं का तर्क है कि इस तरीके से चेकिंग करना गलत है। माहौल के बिगड़ते देख यूनिवर्सिटी प्रशासन ने विश्वविद्यालय को तुरंत बंद करने का निर्णय लिया, जिससे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। फिर भी, छात्रों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनके मुद्दों का समाधान नहीं किया जाता, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

सामाजिक एवं राजनीतिक हस्तियों की इस घटना पर प्रतिक्रिया इस बात का प्रमाण है कि यह मामला केवल एक कॉलेज का नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए जागरूकता बनाने का साधन बनता जा रहा है। यदि इन आरोपों की सत्यता है, तो यह एक बड़ा विचारणीय विषय साबित हो सकता है। इस मामले में कई नेताओं ने सरकार से तत्काल जांच का आग्रह किया है ताकि सच सामने आ सके और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके। बेशक, यह मामला शिक्षा प्रणाली के भीतर महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।