राज्यपाल ने कार्कटेश्वर मंदिर में की पूजा-अर्चना

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अल्मोड़ा, 19 जून (हि.स.) राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने बुधवार को परिवार सहित काकड़ी घाट स्थित कार्कटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने देश एवं प्रदेश वासियों की सुख समृद्धि की कामना की। राज्यपाल ने यहां स्थित ज्ञान वृक्ष का जलाभिषेक किया तथा ध्यानकक्ष में ध्यान भी लगाया।

काकड़ीघाट पहुंचने पर जिलाधिकारी विनीत तोमर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पींचा सहित अन्य अधिकारियों ने राज्यपाल काे पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। इसके बाद राज्यपाल ने कार्कटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने ज्ञान वृक्ष (पीपल) का जलाभिषेक कर काकड़ीघाट के बारे में विभिन्न जानकारियां प्राप्त की। इस मौके पर राम कृष्ण मिशन अल्मोड़ा के ध्रुवेशानंद महाराज ने उन्हें इस स्थान का महत्व बताया तथा कहा कि स्वामी विवेकानन्दजी ने अपनी परिव्राजक यात्रा के दौरान 21 अगस्त 1890 को काकड़ीघाट में स्थित इस पीपल वृक्ष के नीचे रात्रिवास किया था, जो बाद में यह पीपल वृक्ष ज्ञानवृक्ष के नाम से जाना गया।

ज्ञानवृक्ष के नाम से विख्यात यह पीपल वृक्ष 2014 तक सूख गया था, परन्तु उसी वृक्ष के एक प्रतिरूप पौधे का रोपन 15 जुलाई 2016 को यहां उसी मूल स्थान पर किया गया है।

इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि हर जगह की अपनी एक अलग पहचान है। यहां आकर स्वामी विवेकानन्द ने ध्यान लगाया था। मुझे खुशी है कि उस वक्त जिस पेड़ के नीचे उन्होंने ध्यान लगाया था उसको हमने वैज्ञानिक तरीके से पुनर्जीवित किया है। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती जल संरक्षण की है। कोसी नदी हमारे लिए पूज्यनीय है, जल एवं वृक्षों का संरक्षण करना सबसे बड़ी बात है। देवभूमि के हर व्यक्ति की आत्मा में वृक्ष, जल एवं जंगल के प्रति आदर एवं विशेष लगाव है।

उन्होंने कहा कि आज ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में वृद्धि हो रही है। जंगलों की आग भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। हर उत्तराखंडवासी की जिम्मेदारी है कि वह इसका समाधान निकाले। जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों को इसका विश्लेषण करना होगा। इसके साथ ही हर उत्तराखंडवासी, हर ग्रामवासी एवं हर महिला के ऊपर यह जिम्मेदारी है कि हमें इसका तोड़ ढूंढना होगा। हमें इस प्रकार से मित्र बनाने पड़ेंगे जो आग लगने की सूचना तत्काल वन विभाग को दें, जिससे समय रहते जंगल को आग से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि जंगलों की आग पूरी दुनिया के लिए चुनौती है। उत्तराखंड में जो इसका समाधान निकलेगा वह पूरी दुनिया को रोशनी देगा। उन्होंने कहा कि यहां आकर स्वामी विवेकानन्द की जो सोच-विचार और धारणा है उसे जानने का मौका मिला।