गाजियाबाद: एम्बुलेंस न पहुंचने पर पीआरवी के जरिए गर्भवती को अस्पताल पहुंचाने और रास्ते में प्रसव होने के मामले में एम्बुलेंस कंपनी के जिला प्रभारी ने दावा किया है कि रात में उस वक्त उनके पास एम्बुलेंस के लिए कोई कॉल ही नहीं आई। बाद में महिला को निजी अस्पताल से सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस मुहैया करवाई गई। जिला प्रभारी ने यह दावा कंपनी के ऑपरेशन हेड को भेजे जवाब में किया है। जबकि, इसके उलट गाजियाबाद पुलिस और रेलवे स्टेशन के स्टाफ ने कहा था कि कॉल करने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं पहुंची और लेबर पेन बढ़ने पर पुलिस को फोन कर मदद मांगी गई। इस मामले में एसएसपी कलानिधि नैथानी ने भी गर्भवती को अस्पताल पहुंचाने वाली पीआरवी की पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत करने की घोषणा करते हुए ट्वीट किए थे।
बीते गुरुवार को देर रात महरौली रेलवे स्टेशन के पास प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को 2 घंटे तक 108 एम्बुलेंस नहीं मिली थी। रेलवे स्टेशन मास्टर की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस अपनी गाड़ी से उसे अस्पताल ले गई। रास्ते में ही महिला ने पीआरवी में एक बच्ची को जन्म दिया। जिसका वजन कम होने से उसे निजी अस्पताल से जिला महिला अस्पताल में भर्ती किया गया। इस मामले को लेकर सीएमओ ने एम्बुलेंस के जिला प्रभारी जयवेंद्र सिंह से जानकारी मांगी थी।
सीएमओ ने बताया कि इस संबंध में प्रभारी से मामले को लेकर बात की गई थी। जिले में संचालित 102, 108 व एएलएस एम्बुलेंस के लिए एक कंपनी से टाईअप है। सीएमओ के बाद कंपनी के लखनऊ कार्यालय से ऑपरेशन हेड ने भी एम्बुलेंस जिला प्रभारी से जानकारी मांगी। जिला प्रभारी जयवेंद्र सिंह ने बताया कि लखनऊ कार्यालय को जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। जयवेंद्र का दावा है कि गुरुवार रात उनके पास केवल रात 1 बजकर 13 मिनट पर कॉल आई थी, उस दौरान महिला एक निजी अस्पताल में भर्ती थी, जिसके बाद उसे एम्बुलेंस से जिला महिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया। इससे पहले कोई कॉल नहीं आई थी। बाद में शुक्रवार को दिन में दोपहर करीब डेढ़ बजे फिर कॉल आई थी, जो महिला के पति ने की थी। इसके बाद एम्बुलेंस ने जिला महिला अस्पताल से उसे उसके घर पहुंचा दिया था।