अकाली दल, भाजपा के हाथ की कठपुतली बना दिल्ली चुनाव न लड़ने के दावे और सीएए संबंधी दोहरे मापदंड अपनाकर : चन्नी

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चंडीगढ़। दिल्ली चुनाव न लडऩे के दावे और नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) संबंधी दोहरे मापदंड अपनाने पर शिरोमणि अकाली दल बादल को आड़े हाथों लेते हुए पंजाब के कैबिनेट मंत्री स. चरनजीत सिंह चन्नी ने कहा कि वास्तव में बादल दल भाजपा की कठपुतली बन गया है। उन्होंने कहा कि अकाली दल भाजपा की साजि़श भरी मिलीभुगत से लगातार सिखों और सिख मुद्दों को तिलांजलि दे रहा है।

चन्नी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव न लडऩे का ऐलान भारतीय जनता पार्टी के साथ अकाली दल की मिलीभगत का ही नतीजा है जिससे बहुसंख्यक हिंदू वोट कांग्रेस की तरफ न जाकर, भाजपा के हक में जा सके। इसी कारण भाजपा यह सीधा संकेत देने में कामयाब हो जाएगी कि वह अल्पसंख्यकों ख़ासकर सिखों की विरोधी जमात है जिससे वह बहुसंख्यक हिंदू वोटों का भी अप्रत्यक्ष तौर पर ध्रुवीकरण भी कर सकेगी।

सीनियर कांग्रेसी नेता और मंत्री ने कहा कि इससे पहले हरियाणा में भी अकाली दल ने भाजपा की मिलीभगत के साथ सिखों को धोखा दिया। नतीजा यह हुआ कि वहां अकाली दल ने सिखों के वोट इनेलो के हक में डाले क्योंकि अल्पसंख्यकों की वोटें खऱाब करके भाजपा के संकुचित मंसूबों को कामयाब किया जा सके।

नागरिकता संशोधन कानून पर अकाली दल के दोहरे बयानों को मगरमच्छ के आंसू और दोगले करार देते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि बादल परिवार अपनी साख को बचाने के लिए यह सब नाटक रच रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘संसद में सी.ए.ए. के हक में अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने लंबे-लंबे कसीदे पढक़र अब एकदम पलट गए हैं।’’ संसद के अंदर सी.ए.ए. को अल्पसंख्यकों के अधिकारों का रक्षक बताने वाले अकाली, अब दिल्ली चुनाव के मद्देनजऱ इस कानून के विरुद्ध हो गए हैं, जो सरासर अल्पसंख्यक सिखों को गुमराह करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि इस तरह से अकाली दल सिखों को भाजपा का विरोधी दिखाकर हिंदु वोट को फिर इकट्ठा करने की भद्दी कोशिश कर रहा है।

स. चरनजीत सिंह चन्नी ने ज़ोर देकर कहा कि अकाली दल के टकसाली नेता राज्यों को अधिक अधिकार देने और अल्पसंख्यकों के हकों की बात करते थे परन्तु अब उसके बिल्कुल उलट शिरोमणि अकाली दल सिर्फ निजी लाभ को आगे रखकर न सिर्फ आनंदपुर के प्रस्ताव के विरुद्ध खड़ा है, बल्कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी हनन कर रहा है। उन्होंने कहा कि अकाली दल अपने इन ढकोसलों से सिखों को लम्बे समय तक गुमराह नहीं कर सकता और अंत में इसको अपने किए कामों का नतीजा भुगतना पड़ेगा।