पर्यावरण जागरूकता के लिए महाराष्ट्र के रोहन तीन वर्षों में नाप चुके हैं कई राज्य और देश

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देहरादून, 07 जनवरी (हि.स.)। यदि दृढ़ इच्छा शक्ति और मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो व्यक्ति बहुत कुछ कर सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है महाराष्ट्र के 18 वर्षीय रोहन अग्रवाल ने, जो अब तक कई प्रदेशों की राजधानियों से होते हुए दो देश भी नाप चुके हैं।

महाराष्ट्र के नागपुर निवासी रोहन अग्रवाल 18 वर्ष की आयु में ही यायावर हो गए। वह 18 वर्ष की उम्र से विश्व भ्रमण कर 20 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। भारत के 27 राज्यों, बांग्लादेश के 64 जिलों और नेपाल के कई हिस्सों में पदयात्रा कर चुके रोहन अग्रवाल तीन साल से प्लास्टिक के खतरे और उनके प्रभावों को लेकर लोगों में जनजागरूकता फैला रहे हैं।

रोहन अग्रवाल ने एक बातचीत में बताया कि उन्होंने जनता को प्रदूषण और प्लास्टिक के खतरनाक स्वरूप से जागरूक करने का निर्णय लिया है। इसी उद्देश्य वह यात्रा पर निकले हुए हैं और वह लगातार चल रहे हैं। वह इन दिनों रोहन अग्रवाल उत्तराखंड में है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण जागरूकता के लिए चल रही इस यात्रा में अब तक मैं 22 हजार किलोमीटर चल चुके हैं। कई बार जहां आवश्यकता होती है, वहां कुछ लोगों से यात्रा के लिए सहयोग मांग कर यात्रा पूरी करता हूं। ऐसे में निर्जन और जंगली क्षेत्र प्रमुख हैं, जहां प्राणों को संकट होता है। उन्होंने बताया कि नेपाल में 20 दिन रहने के बाद अब मैं उत्तराखंड के प्रवास पर हूं।

रोहन अग्रवाल विकासनगर, देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, नई टिहरी, उत्तरकाशी, देवप्रयाग, श्रीनगर, पौड़ी, रानीखेत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, मुनस्यारी, धारचूला, पिथौरागढ़ के साथ-साथ नैनीताल, हल्द्वानी, रुद्रपुर से देहरादून पहुंचकर 50 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं।

उन्होंने बताया कि पर्यावरण के बारे में अपना संदेश देने के लिए मैंने कई स्कूलों और संस्थानों का दौरा किया है। बाद में मैं साइबेरिया में ओमियाकोम तक चलूंगा, जहां तापमान -72 डिग्री है और यह पृथ्वी पर सबसे ठंडा स्थान है और मैं भारत से जमीन के रास्ते वहां पहुंचने वाला पहला दक्षिण एशियाई बनूंगा। साइबेरिया के रास्ते में मैं अगले 5 वर्षों में दक्षिण एशिया के 20 देशों को पार करूँगा।

केंद्र शासित प्रदेश सहित भारत का 28 राज्यों और नेपाल और बांग्लादेश के 21 हजार किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए उत्तराखंड पहुंचा पहुंचा हूं। यह पदयात्रा 3 साल 4 महीना की हुई है। यात्रा का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति सजग और जागरूकता का संदेश स्कूल और पब्लिक स्थानों पर देने का काम करते हैं। म्यांमार थाईलैंड कंबोडिया, लाउस वियतनाम, चाइना होते हुए मकाऊ मंगलोलिया, रसिया, साइबेरिया जाऊंगा। साइबेरिया में एक जगह है भूमिया कौम जो विश्व का सबसे ठंडा जगह -7 डिग्री तापमान रहता है। यह यात्रा 04 से 05 साल और तकरीबन चलेगी।