नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने न्यू इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन (आईएचए) मैनुअल (हॉस्टल मैनुअल) के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है, जो जेएनयू प्रशासन को शीतकालीन सत्र 2020 में पंजीकरण के लिए छात्रों पर देरी के कारण शुल्क लगाने (लेट फीस) से रोकने के लिए अदालत के निर्देश की मांग कर रहा है। जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष, उपाध्यक्ष साकेत मून और अन्य सदस्यों द्वारा यह याचिका दायर की गई है।
दलील में नए हॉस्टल मैनुअल को रद्द करने का अनुरोध भी किया गया है, जिसमें फीस बढ़ोतरी का प्रावधान है। यह याचिका जेएनयूएसयू सदस्यों द्वारा आईएचए के 28 अक्टूबर 2019 के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई है। याचिका में फैसले को दुर्भावनापूर्ण, मनमाने और गैरकानूनी करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है।
दलील में यह भी कहा गया है कि हॉस्टल मैनुअल के संशोधन में हॉस्टल शुल्क में वृद्धि की गई है, जो विद्यार्थियों को प्रभावित करने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि जेएनयू में छात्रावास की बढ़ी हुई फीस को लेकर छात्र करीब तीन महीनों से आंदोलित हैं। छात्र परीक्षा और नए सेमेस्टर के लिए पंजीकरण प्रक्रिया का बहिष्कार कर चुके हैं।
हालांकि, छात्रसंघ ने बीते गुरुवार (16 जनवरी) को आंदोलन की रणनीति में अहम बदलाव करते हुए कक्षाओं में शामिल होने की बात कही थी। साथ ही पुराने सेमेस्टर की कक्षाएं लगाने का प्रस्ताव भी पारित किया था, लेकिन रविवार को छात्रसंघ ने पुन: बयान जारी कर छात्रों से पंजीकरण, परीक्षा और कक्षाओं का बहिष्कार करने की अपील की।