नई दिल्ली। JNU violence:जेएनयू छात्र संघ ने 5 जनवरी को हुई हिंसा की पुलिस जांच पर सवाल उठाए हैं। छात्र संघ ने आरोप लगाया कि पुलिस, प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों की सांठ-गांठ है। एबीवीपी को बचाया जा रहा है। छात्र संघ अध्यक्ष आईशी घोष ने आरोप लगाया कि 23 दिसंबर से पुलिस सादी वर्दी में कैंपस में घूम रही है, लेकिन हिंसक गतिविधि को काबू नहीं किया। एबीवीपी से जुड़े कई लोगों ने हमारे कार्यकर्ताओं को पीटा। 4 और 5 जनवरी को एबीवीपी के छात्रों ने मारपीट की।
जानकारी के बाद भी नहीं हुई हिंसा
5 जनवरी के दिन 3 बजे फोन भी कर हिंसा की जानकारी दी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा आइटी सेल फोटो और वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर वायरल कर रहा है। छात्र संघ ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के कार्यकर्ता दुर्गेश कुमार और मनीष जांगिड ने भीड़ का नेतृत्व किया और विश्वविद्यालय में हिंसा की घटना को अंजाम दिया गया।
एबीवीपी ने लेफ्ट पर किया पलटवार
वहीं एबीवीपी की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष दुर्गेश कुमार व सचिव मनीष जांगिड़ ने लेफ्ट छात्र संगठनों व छात्र संघ पर आरोप लगाते हुए कहा कि जेएनयू हिंसा के लिए वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ता व छात्रसंघ जिम्मेदार हैं। इन्होंने ने ही आम छात्र और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की थी।
इधर, कांग्रेस ने जेएनयू के कुलपति और दिल्ली पुलिस के आयुक्त को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। कांग्रेस ने जेएनयू हिंसा मामले की स्वतंत्र न्यायिक आयोग से जांच कराने की मांग भी की। कांग्रेस की जेएनयू हिंसा पर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। हालांकि, रिपोर्ट के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है।
पुलिस पर लगे आरोप
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि जेएनयू हिंसा में दिल्ली पुलिस भी पूरी तरह से दोषी है। उन्होंने यहा कि वह यह बयान कांग्रेस पार्टी का सदस्य होने के नाते नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के रूप में दे रहे हैं। एक नागरिक के नाते वह टीवी चैनलों पर दिखाई जानी वाली सच्चाई को देखने और सुनने के बाद चुप नहीं रह सकते हैं।