18HREG138 अमेरिका की टीम ने स्तनपान को लेकर जुटाई शोध की जानकारी
कानपुर, 18 अगस्त (हि.स.)। स्तनपान से मां व बच्चे को कई तरह की बीमारियों से राहत मिलती हैं, लेकिन आज भी भारत में कई मां अपने बच्चे को सही तरह से स्तनपान नहीं कराती हैं। इस वजह से बच्चे का सही तरह से मानसिक व शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। इस प्रोजेक्ट पर रिसर्च कर रही अमेरिका की टीम शुक्रवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के जच्चा-बच्चा व बाल रोग चिकित्सालय पहुंची। यहां पर उन्होंने दोनों अस्पतालों का चप्पा-चप्पा खंगाला।
अमेरिका के हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (यूनीवर्सिटी) से प्रोगाम मैनेजर की सहायक निदेशक इलाना डीजूबा, सीनियर अनुसंधान वैज्ञानिक लिंडा वीसेल और सहयोगी परियोजना प्रबंधक सू वैरिमु गुरुवार को जच्चा-बच्चा अस्पताल पहुंची। यहां पर उन्होंने स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीना गुप्ता, डॉ. सीमा द्विवेदी व बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार आर्या से मुलाकात की। अमेरिका की टीम ने दोनों विभागाध्यक्षों से स्तनपान के प्रोजेक्ट पर रिसर्च की चर्चा की। इसके बाद टीम ने लेबर रूम (सामान्य व सीजेरियन), वार्ड, प्राइवेट व सेमी प्राइवेट रूम, एसएनसीयू वार्ड आदि का निरीक्षण किया। वार्ड में बच्चे को मां किस तरह से स्तनपान करा रही हैं, वह देखा। साथ ही अस्पताल में मिलने वाले इलाज व सुविधा आदि की जानकारी दी। अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक होने पर टीम के सदस्य आश्चर्यचकित हुए। मीडिया प्रभारी डॉ. सीमा द्विवेदी के मुताबिक अमेरिका के हावर्ड यूनिवर्सिटीसे तीन सदस्यीय टीम जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के जच्चा-बच्चा में आई थी। उन्होंने स्तनपान पर रिसर्च की जानकारी की।
47 फीसद मां नहीं कराती स्तनपान
मीडिया प्रभारी ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट-5 के मुताबिक जिले में बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर 34.8 फीसदी मां स्तनपान कराती हैं, जबकि 65.2 माताएं बच्चे को जन्म देने के बाद पहला गाढ़ा पीला दूध नहीं पिलाती हैं, जो बच्चे के लिए काफी महत्वपूर्ण होता हैं। वहीं, 53.9 फीसद माताएं ही बच्चे को छह माह तक स्तनपान कराती हैं और 47.1 फीसदी मां बच्चे को स्तनपान कराना बंद कर देती हैं। बच्चों को मां के दूध में मौजूद पोषण तत्व नहीं मिलने से उनका मानसिक व शारीरिक विकास रुक जाता हैं। वह कई तरह की बीमारी से भी ग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए छह माह तक स्तनपान करना मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी होता है।